वो भारतीय महिला, जिसने पाकिस्तान में की शादी और बनी जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस

punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 05:48 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह जॉर्डन यात्रा के बाद भारत और जॉर्डन के ऐतिहासिक रिश्तों पर एक बार फिर लोगों का ध्यान गया है। पीएम मोदी ने सोमवार, 15 दिसंबर 2025 को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में स्थित अल-हुसैनिया पैलेस में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की अहम बैठक की।

इसी मौके पर हम आपको एक ऐसी भारतीय महिला की कहानी बता रहे हैं, जिनका जीवन भारत, पाकिस्तान और जॉर्डन – तीनों देशों से गहराई से जुड़ा रहा। यह महिला बाद में जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस बनीं और दशकों तक शाही जिम्मेदारियां निभाईं।

कौन हैं वो भारतीय महिला?

हम बात कर रहे हैं प्रिंसेस सरवत एल. हसन की। उनका जन्म 1947 में कोलकाता में हुआ था, यानी भारत-पाकिस्तान बंटवारे से कुछ ही हफ्ते पहले। वे एक प्रतिष्ठित बंगाली मुस्लिम परिवार – सुहरावर्दी परिवार से ताल्लुक रखती थीं।

उनका जन्म नाम सरवत इकरामुल्लाह था। उनके पिता मोहम्मद इकरामुल्लाह भारतीय सिविल सेवा (ICS) के अधिकारी रहे और बाद में वे पाकिस्तान के पहले विदेश सचिव बने। उनकी मां शाइस्ता सुहरावर्दी इकरामुल्लाह पाकिस्तान की पहली महिला सांसदों में से एक थीं और उन्होंने मोरक्को में पाकिस्तान की राजदूत के रूप में भी काम किया।

भारत में जन्म, अंतरराष्ट्रीय परवरिश

सरवत की पढ़ाई ब्रिटेन में हुई। अपने पिता की यूरोप और दक्षिण एशिया में अलग-अलग राजनयिक तैनातियों के कारण उनका बचपन और युवावस्था एक अंतरराष्ट्रीय माहौल में बीती। इसी दौरान, लंदन में आयोजित एक राजनयिक कार्यक्रम में उनकी मुलाकात जॉर्डन के हाशमी वंश के प्रिंस हसन बिन तलाल से हुई। यहीं से दोनों के रिश्ते की शुरुआत हुई।

पाकिस्तान में हुई शाही शादी

इसके बाद 28 अगस्त 1968 को सरवत इकरामुल्लाह ने पाकिस्तान के कराची में प्रिंस हसन बिन तलाल से विवाह किया। यह शादी पाकिस्तानी, जॉर्डनियन और पश्चिमी परंपराओं का अनोखा मेल थी।

शादी के बाद वे जॉर्डन की राजधानी अम्मान में बस गईं। इस दंपति के चार बच्चे हैं—

  • तीन बेटियां: प्रिंसेस रहमा, प्रिंसेस सुमाया और प्रिंसेस बदिया

  • एक बेटा: प्रिंस राशिद

31 साल तक रहीं जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस

प्रिंसेस सरवत एल. हसन 1968 से 1999 तक, यानी पूरे 31 वर्षों तक जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस रहीं। इस दौरान उन्होंने केवल शाही जिम्मेदारियां ही नहीं निभाईं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र, सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी अहम योगदान दिया। वे जॉर्डन में शिक्षा संस्थानों और सामाजिक संगठनों से लंबे समय तक जुड़ी रहीं और उन्हें एक संवेदनशील व सक्रिय शाही सदस्य के रूप में जाना गया।

क्राउन प्रिंस का पद बदला

साल 1999 में जॉर्डन के तत्कालीन राजा किंग हुसैन ने अपने बेटे प्रिंस अब्दुल्ला को देश का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके साथ ही प्रिंस हसन का क्राउन प्रिंस के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया और प्रिंसेस सरवत भी क्राउन प्रिंसेस नहीं रहीं। इसके बावजूद, उनका नाम आज भी जॉर्डन के शाही और सामाजिक इतिहास में सम्मान के साथ लिया जाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Pardeep

Related News