फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा गया दीपू दास का केस, बांग्लादेशी अंतरिम सरकार ने ली परिवार की जिम्मेदारी
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 08:46 PM (IST)
नेशनल डेस्क: बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोप में हिंदू श्रमिक दीपू दास की बेरहमी से की गई हत्या के मामले ने अंतरिम सरकार को सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने ऐलान किया है कि दीपू दास लिंचिंग केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके। यह फैसला ऐसे वक्त लिया गया है, जब इस जघन्य घटना ने न सिर्फ बांग्लादेश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, खासकर भारत में भी गंभीर चिंता पैदा कर दी थी। सरकार का कहना है कि इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
एक और हाई-प्रोफाइल मामला भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में
सरकार ने इसी के साथ दक्षिणपंथी सांस्कृतिक संगठन इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी के शूटआउट मामले को भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने का फैसला किया है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर कोई नरमी नहीं बरतना चाहती।
कैसे हुई थी दीपू दास की हत्या?
25 वर्षीय दीपू दास की 18 दिसंबर को मयमनसिंह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया। दीपू एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले साधारण श्रमिक थे। इस नृशंस हत्या ने पूरे बांग्लादेश में आक्रोश फैला दिया था और भारत ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई थी।
दीपू दास के परिवार की जिम्मेदारी लेगी सरकार
इससे पहले अंतरिम सरकार के वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सी आर अबरार ने दीपू दास के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य दीपू की पत्नी, बच्चों और माता-पिता की पूरी जिम्मेदारी उठाएगा। अबरार ने इस हत्या को “एक क्रूर अपराध, जिसका कोई औचित्य नहीं” बताते हुए कहा कि परिवार से मिलने से पहले उन्होंने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से बातचीत की थी, जिन्होंने सरकार की ओर से गहरी संवेदना व्यक्त करने को कहा था।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भी सार्वजनिक रूप से परिवार के प्रति शोक जताया है। उनके कार्यालय ने बताया कि संबंधित अधिकारी लगातार परिवार के संपर्क में रहेंगे, ताकि उन्हें भविष्य में किसी भी तरह की आर्थिक या सामाजिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े।
सरकार का साफ संदेश: कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं
मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने एक आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि आरोप, अफवाहें या विश्वास का अंतर कभी भी हिंसा का आधार नहीं बन सकता। सरकार ने दो टूक कहा कि जांच करने और न्याय सुनिश्चित करने का अधिकार केवल राज्य के पास है और किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अब तक 12 लोग हिरासत में
दीपू दास हत्याकांड में अब तक 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने माना है कि इस मामले का मुख्य संदिग्ध अभी फरार है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। सरकार ने निष्पक्ष जांच और त्वरित न्याय का भरोसा दिलाते हुए कहा है कि इस अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
