''15 दिन की बीवियां'': इस देश में फल-फूल रहा है ''प्लेजर मैरिज'' का कारोबार
punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 10:31 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः इंडोनेशिया के पश्चिमी हिस्से के पुंकाक क्षेत्र में एक विवादास्पद प्रथा 'प्लेजर मैरिज' (Pleasure Marriage) या 'मुताह निकाह' (Nikah Mut'ah) के रूप में सामने आई है, जिसमें महिलाएं विदेशी पर्यटकों से कुछ दिनों के लिए शादी करती हैं। यह परंपरा शिया इस्लामिक संस्कृति से उत्पन्न हुई है, लेकिन इंडोनेशिया में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है और यह देश की दीर्घकालिक पारिवारिक संबंधों की परिभाषा से मेल नहीं खाती है।
क्या है 'प्लेजर मैरिज'?
'प्लेजर मैरिज' एक अस्थायी विवाह है, जिसमें महिला और पुरुष दोनों आपसी सहमति से कुछ दिनों के लिए शादी करते हैं। इस दौरान महिला घरेलू और यौन सेवाएं प्रदान करती है, और पुरुष उसे एक तय राशि का दहेज (mahr) देता है। विवाह समाप्त होने के बाद, महिला को प्राप्त राशि में से एजेंट और अन्य मध्यस्थों का हिस्सा काट लिया जाता है, जिससे महिला को वास्तविक रूप से कम पैसा मिलता है।
महिलाओं का आर्थिक दबाव
इन अस्थायी विवाहों में शामिल महिलाएं अक्सर गरीब पृष्ठभूमि से आती हैं और आर्थिक तंगी के कारण इस प्रथा में शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए, काहया नामक एक महिला ने बताया कि उसने 15 से अधिक बार इस प्रथा में भाग लिया है, जिससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करती है। वह प्रति विवाह $300 से $500 तक कमाती है, जो उसके लिए पर्याप्त नहीं होता।
कानूनी और सामाजिक स्थिति
इंडोनेशिया में यह प्रथा कानूनी रूप से मान्य नहीं है और इसे देश की विवाह कानूनों के खिलाफ माना जाता है। इससे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है और यह मानव तस्करी और शोषण की श्रेणी में आता है। हालांकि यह प्रथा स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देती है, लेकिन इसके पीछे महिलाओं का शोषण और उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न छिपा होता है।