अमेरिका-चीन में टैरिफ पर सस्पेंस बरकरार, ट्रंप करेंगे आखिरी फैसला
punjabkesari.in Tuesday, Jul 29, 2025 - 11:52 PM (IST)

वॉशिंगटन/बीजिंग: अमेरिका और चीन के वरिष्ठ अधिकारी स्टॉकहोम में दो दिनों तक हुई व्यापार वार्ता के बाद बिना किसी नए समझौते के वापस लौटे हैं। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बढ़ते व्यापार तनाव को कम करना था, लेकिन कोई निर्णायक समाधान नहीं निकला।
अब क्या स्थिति है?
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अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पास सत्ता समझौते को आगे बढ़ाने या नवीनीकृत टैरिफ लगाकर व्यापार ट्रूस को समाप्त करने का निर्णय लेने के लिए सिर्फ दो सप्ताह का समय बचा है। ट्रूस की अवधि 12 अगस्त 2025 को समाप्त हो रही है।
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यदि कोई नई डील नहीं होती है, तो दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के व्यापार पर फिर से तीन अंकीय (100% या उससे ज्यादा) टैरिफ लगाया जा सकता है।
बातचीत में क्या हुआ?
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U.S. ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बॅसेंट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर ने बताया कि बैठकें “रचनात्मक” और “संरचनात्मक” रहीं, लेकिन कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ।
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ग्रीयर ने कहा, “हम राष्ट्रपति को रिपोर्ट देंगे और विस्तार का प्रस्ताव रखेंगे, लेकिन इस पर अंततः वह निर्णय लेंगे।”
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बॅसेंट ने कहा कि लगभग 90 दिनों बाद फिर एक नई बैठक हो सकती है, विशेष तौर पर रेयर अर्थ (अनमोल पृथ्वी तत्वों) जैसे सामग्रियों के प्रवाह पर चर्चा और समायोजन जारी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की चेतावनी
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IMF ने वैश्विक आर्थिक विकास दर को 2025 में केवल 2.8% और 2026 में 3% रहने का अनुमान जताया है—जो जनवरी की तुलना में लगभग 0.5‑0.8% कम है।
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IMF ने बढ़ते व्यापार तनाव और नीति अनिश्चितता को विश्व अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया है, जिससे निवेश स्थगित होता है और मांग घटती है।
व्यापार तनाव का वैश्विक असर
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यूरोपिय यूनियन, जापान और अन्य देशों के साथ डीलों के बावजूद, चीन की अर्थव्यवस्था और रेयर अर्थ आपूर्तियों पर उसका नियंत्रण इसे एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है।
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चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ युद्ध की तीसरी लहर शुरू हो सकती है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृखलाएं, बाजारों की वित्तीय स्थिरता और वस्तुओं की कीमतों में उछाल आ सकता है।