पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने परवेज इलाही को पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी
punjabkesari.in Wednesday, Jul 27, 2022 - 06:26 PM (IST)
इस्लामाबाद, 27 जुलाई (भाषा) पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) के नेता चौधरी परवेज इलाही ने नाटकीय घटनाक्रम के बाद बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
उच्चतम न्यायालय ने (पीएमएल-क्यू) के सदस्यों के मत खारिज करने के पंजाब विधानसभा के डिप्टी-स्पीकर के फैसले को मंगलवार को असंवैधानिक करार दिया और इलाही को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत का मुख्यमंत्री नामित किया।
इस फैसले से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उनके बेटे हमजा शरीफ से ‘‘ट्रस्टी’’ मुख्यमंत्री का दर्जा भी छिन गया है।
बहुमत हासिल करने के बावजूद शुक्रवार को चुनाव हारने वाले परवेज इलाही ने डिप्टी स्पीकर दोस्त मोहम्मद मजारी के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें प्रधानमंत्री शरीफ के बेटे हमजा को विजयी घोषित किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार देर रात मजारी के पंजाब के मुख्यमंत्री पद के चुनाव में 10 मतों को खारिज करने का विवादित फैसला ‘‘गैरकानूनी’’ करार दिया और कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित उम्मीदवार इलाही पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे।
76 वर्षीय इलाही ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के उम्मीदवार हमजा शहबाज के 179 वोट के मुकाबले 186 वोट हासिल किए थे, लेकिन डिप्टी स्पीकर मजारी द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) के विधायकों के 10 वोट खारिज किए जाने के बाद वह हार गए थे।
पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसान और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर ने पंजाब के गवर्नर बालीग उर रहमान को इलाही को शपथ दिलाने का आदेश दिया। बहरहाल, रहमान ने शपथ दिलाने से इनकार कर दिया ।
इसके बाद इलाही उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा शपथ दिलाए जाने के लिए मंगलवार देर रात इस्लामाबाद रवाना हो गए। अल्वी ने इलाही को बुधवार सुबह शपथ दिलायी।
‘जियो न्यूज’ की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति अल्वी ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए इलाही को इस्लामाबाद लाये जाने के लिए एक विशेष विमान भेजा था।
उच्चमत न्यायालय का फैसला आने के थोड़े वक्त बाद ही लोग पीटीआई का झंडा लेकर कांस्टीट्यूशन एवेन्यू में उच्चतम न्यायालय के बाहर आ गए और खुशी में नारे लगाने लगे।
शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने कहा, “ मैं सभी तरह की धमकियों और अपशब्दों के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने और संविधान एवं कानून को बरकरार रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सराहना करता हूं।” पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “ मैं (चुनाव में) गड़बड़ी के खिलाफ उप चुनाव में अप्रत्याशित संख्या में सड़कों पर आने के लिए पंजाब के लोगों का आभार जताना चाहता हूं।” ‘डॉन’ अखबार में छपे संपादकीय में कहा गया है कि खान और पीटीआई ने न सिर्फ लाहौर में पीएमएल-एन के गढ़ पर कब्जा कर लिया है बल्कि वे इस्लामाबाद में उसकी कमजोर सत्ता की हर बुनियाद को हिलाने की धमकी दे रहे हैं।
उसमें कहा गया है, “ खान के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरने के साथ ही प्रतिष्ठान (सेना), न्यायपालिका, नौकरशाही या कारोबारियों को उन्हें नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा। फैसला इसी बात को रेखांकित करता है।” फैसले के बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने इसे ‘न्यायिक तख्तापलट’ करार दिया।
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने पूर्ण पीठ गठित नहीं करने के शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना की और मंगलवार को अदालत की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
अदालत के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहां बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है। पुलिस की मदद के लिए अर्द्धसैनिक रेंजर्स और फ्रंटियर कोर के जवान भी मौजूद हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने (पीएमएल-क्यू) के सदस्यों के मत खारिज करने के पंजाब विधानसभा के डिप्टी-स्पीकर के फैसले को मंगलवार को असंवैधानिक करार दिया और इलाही को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत का मुख्यमंत्री नामित किया।
इस फैसले से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उनके बेटे हमजा शरीफ से ‘‘ट्रस्टी’’ मुख्यमंत्री का दर्जा भी छिन गया है।
बहुमत हासिल करने के बावजूद शुक्रवार को चुनाव हारने वाले परवेज इलाही ने डिप्टी स्पीकर दोस्त मोहम्मद मजारी के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें प्रधानमंत्री शरीफ के बेटे हमजा को विजयी घोषित किया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार देर रात मजारी के पंजाब के मुख्यमंत्री पद के चुनाव में 10 मतों को खारिज करने का विवादित फैसला ‘‘गैरकानूनी’’ करार दिया और कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित उम्मीदवार इलाही पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे।
76 वर्षीय इलाही ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के उम्मीदवार हमजा शहबाज के 179 वोट के मुकाबले 186 वोट हासिल किए थे, लेकिन डिप्टी स्पीकर मजारी द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) के विधायकों के 10 वोट खारिज किए जाने के बाद वह हार गए थे।
पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसान और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर ने पंजाब के गवर्नर बालीग उर रहमान को इलाही को शपथ दिलाने का आदेश दिया। बहरहाल, रहमान ने शपथ दिलाने से इनकार कर दिया ।
इसके बाद इलाही उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा शपथ दिलाए जाने के लिए मंगलवार देर रात इस्लामाबाद रवाना हो गए। अल्वी ने इलाही को बुधवार सुबह शपथ दिलायी।
‘जियो न्यूज’ की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति अल्वी ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए इलाही को इस्लामाबाद लाये जाने के लिए एक विशेष विमान भेजा था।
उच्चमत न्यायालय का फैसला आने के थोड़े वक्त बाद ही लोग पीटीआई का झंडा लेकर कांस्टीट्यूशन एवेन्यू में उच्चतम न्यायालय के बाहर आ गए और खुशी में नारे लगाने लगे।
शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने कहा, “ मैं सभी तरह की धमकियों और अपशब्दों के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने और संविधान एवं कानून को बरकरार रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सराहना करता हूं।” पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “ मैं (चुनाव में) गड़बड़ी के खिलाफ उप चुनाव में अप्रत्याशित संख्या में सड़कों पर आने के लिए पंजाब के लोगों का आभार जताना चाहता हूं।” ‘डॉन’ अखबार में छपे संपादकीय में कहा गया है कि खान और पीटीआई ने न सिर्फ लाहौर में पीएमएल-एन के गढ़ पर कब्जा कर लिया है बल्कि वे इस्लामाबाद में उसकी कमजोर सत्ता की हर बुनियाद को हिलाने की धमकी दे रहे हैं।
उसमें कहा गया है, “ खान के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरने के साथ ही प्रतिष्ठान (सेना), न्यायपालिका, नौकरशाही या कारोबारियों को उन्हें नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा। फैसला इसी बात को रेखांकित करता है।” फैसले के बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने इसे ‘न्यायिक तख्तापलट’ करार दिया।
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने पूर्ण पीठ गठित नहीं करने के शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना की और मंगलवार को अदालत की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
अदालत के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहां बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है। पुलिस की मदद के लिए अर्द्धसैनिक रेंजर्स और फ्रंटियर कोर के जवान भी मौजूद हैं।
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