कोविड-19 मरीजों में सार्वभौमिक प्रभावी एंटीबॉडी मिलीं : अध्ययन

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 08:57 PM (IST)

वाशिंगटन, 27 मई (भाषा) कोविड-19 बीमारी से ठीक होने वाले 149 लोगों पर किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश व्यक्तियों में कम से कम कुछ एंटीबॉडी विकसित हुईं, जो कुदरती रूप से सार्स-सीओवी-2 विषाणु को रोकने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नतीजे बीमारी के एक सार्वभौमिक टीके के विकास में मदद कर सकते हैं।

अमेरिका में रॉकफेलर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा इन मरीजों के प्रतिरोधक अध्ययन के पहले नतीजे में यह भी पाया गया कि प्रत्येक व्यक्ति में बनी एंटीबॉडी की मात्रा में काफी अंतर था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि एंटीबॉडी की प्र‍भावोत्पादक क्षमता में भी काफी अंतर था। कुछ जहां वायरस को प्रभावित करती हैं तो वहीं कुछ ही ऐसी थीं जो वास्तव में उसके “प्रभाव को कम कर” रही थीं, यानी वास्तव में वे विषाणु को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक रही थीं।

वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशन से पूर्व बायोआरएक्सआईवी सर्वर पर साझा किये गए अध्ययन के नतीजों के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के रक्त के नमूने एकत्र किये थे।

शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन नमूनों का अध्ययन किया गया उनमें से अधिकतर ने “वायरस गतिविधि को बेअसर करने में” खराब से लेकर औसत प्रदर्शन किया, जो कमजोर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का संकेत है।


उन्होंने कहा कि करीबी नजर डालने पर हालांकि यह खुलासा हुआ कि हर किसी का प्रतिरोधक तंत्र प्रभावी एंटीबॉडी का निर्माण करने में सक्षम है-जरूरी नहीं कि वे पर्याप्त संख्या में हों।

जब विषाणु की गतिविधियों को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी बड़ी मात्रा में किसी व्यक्ति के सीरम में मौजूद नहीं थीं तब भी शोधकर्ता यह खोज सके कि कुछ दुर्लभ प्रतिरोधी कोशिकाएं हैं जो उन्हें बनाती हैं।

रॉकफेलर विश्वविद्यालय के माइकल सी नूसेंजवीग ने कहा, “यह संकेत है कि हर कोई यह कर सकता है, जो टीकों के लिहाज से बेहद अच्छी खबर है।”

उन्होंने कहा, “इसका मतलब है अगर आप कोई टीका बना पाते हैं जो इन खास एंटीबॉडी को रोशनी में लाता है तब यह टीका प्रभावी होगा और बहुत से लोगों के काम आ सकता है।”
शोधकर्ता तीन खास तरह की एंटीबॉडी की पहचान कर पाएं हैं, जो विषाणु की गतिविधि को बेअसर करने में सबसे प्रभावी रही हैं।


वे इसे उपचारात्मक और निरोधात्मक औषधि के रूप में विकसित करने के लिये आगे काम कर रहे हैं।

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PTI News Agency

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