India-US Trade Deal: 1 अगस्त से पहले मिल सकती है गुडन्यूज! भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर जल्द लगेगी मुहर

punjabkesari.in Sunday, Jul 20, 2025 - 09:05 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित ट्रेड डील पर जल्द ही अंतिम मुहर लग सकती है। हाल ही में दोनों देशों के बीच पांचवें दौर की महत्वपूर्ण वार्ता वॉशिंगटन में चार दिनों (14 जुलाई-17 जुलाई) तक चली जिसमें ट्रेड डील के अंतिम खाके को तैयार करने पर जोर दिया गया। भारत के लिए यह डील बेहद अहम मानी जा रही है ताकि रेसिप्रोकल टैरिफ (आपसी शुल्क) से बचा जा सके और वह इस मामले में दूसरे एशियाई देशों से आगे रह सके।

ट्रंप का अल्टीमेटम और टैरिफ का खतरा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ डील लगभग फाइनल है। हालांकि अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की डेडलाइन 1 अगस्त तय की है। इसका मतलब है कि अगर इस बीच दोनों देश किसी समझौते पर नहीं पहुँच पाते हैं तो अमेरिका भारत पर 26 प्रतिशत का टैरिफ (शुल्क) लगा देगा जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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किन मुद्दों पर हुई गहन बातचीत?

भारत की मुख्य प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले उस पर कम टैरिफ लगाए। बताया जा रहा है कि यह वार्ता केवल सामान्य व्यापार पर ही नहीं बल्कि डिजिटल इकोनॉमी से लेकर 'हाई टेक्नोलॉजी ट्रेड' जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी कई स्तर आगे बढ़ चुकी है।

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रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अमेरिका से ऑटो सेक्टर पर लगाए गए 25 प्रतिशत और स्टील व एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत टैरिफ से छूट की मांग की है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच SCOMET (स्पेशल केमिकल्स, ऑर्गेनिज़म्स, मटेरियल, इक्विपमेंट्स और टेक्नोलॉजी) के व्यापार पर भी बातचीत हुई। ये वे सामग्रियाँ और तकनीकें हैं जिनका व्यापार बेहद विनियमित है और केवल विश्वसनीय भागीदारों के साथ ही होता है।

अमेरिका की भारत से प्रमुख माँगें

अमेरिका भी भारत से कई मुद्दों पर रियायतें चाहता है:

➤ कृषि और डेयरी सेक्टर: अमेरिका भारत में इन दो सेक्टर्स पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। वह कृषि क्षेत्र में आयात शुल्क कम करने के साथ-साथ यह भी चाहता है कि भारत जेनेटिकली मोडिफाइड एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स को अपने यहां आने दे।

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➤ ऑटोमोबाइल और ऊर्जा: अमेरिका की भारत से ऑटोमोबाइल पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने और उनसे अधिक से अधिक ऊर्जा प्रोडक्ट्स (जैसे कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस) खरीदने की भी डिमांड है।

➤ तकनीकी कंपनियां: वस्तु व्यापार के अलावा अमेरिका का एक और मकसद भारत में अपनी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए अधिक उदार नियामक माहौल बनाना है।

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अपने किसानों के हितों की रक्षा करते हुए खासकर डेयरी सेक्टर और गेहूं व चावल जैसे अनाजों के लिए भारत ने अपने श्रम-प्रधान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उभरते मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स के लिए अधिक बाज़ार में पहुँच होने की मांग की है।

अब तक अमेरिका ने ब्रिटेन, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ ट्रेड डील होने का ऐलान कर चुका है। भारत के साथ यह डील दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा दे सकती है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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