यूरोप में गहराया राजनीतिक संकट , 7 और देशों में भी भड़क रही आजादी की चिंगारी

punjabkesari.in Sunday, Oct 29, 2017 - 04:23 PM (IST)

लंदनः यूरोप में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। गत दिवस कैटेलोनिया स्पेन से अलग होकर नया देश बना लेकिन स्पेन ने इसे मान्यता देने से इंकार कर दिया है। अपने 40 साल के सबसे बड़े संवैधानिक संकट को देखते हुए स्पेन की संसद ने अपने संविधान का आर्टिकल 155 इस्तेमाल किया है। . इस आर्टिकल के तहत स्पेन की एकता पर संकट को देखते हुए देश के कैटेलोनिया क्षेत्र की स्वायत्तता खत्म कर दी गई है।

स्पेन के प्रधानमंत्री मरिआनो रजोय ने कहा उन्होंने कैटेलोनिया की संसद भंग कर दी है और 21 दिसंबर को क्षेत्रीय चुनाव होंगे। रजोय ने यह भी कहा कि उन्होंने कैटेलोनिया के अलगाववादी नेता कार्ल्स पुइगदेमोंत और उनके प्रशासन को औपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया। ऐसा उन्होंने स्थिति सामान्य करने के उपायों के तहत किया। इससे पहले कैटेलोनिया की संसद ने आजादी के पक्ष में मतदान किया था।

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कैटोलेनिया के अलावा 7 और देशों में भी आजादी की चिंगारी भड़क रही है जिनमें ब्रिटेन,बेल्जियम, इटली, फ्रांस, डैनमार्क, जर्मनी के नाम शामिल हैं।

बास्क (स्पेन)
बास्क काफी से स्पेन से अाजादी की मांग उठाता रहा है। बास्क  स्पेन का इकलौता एेसा क्षेत्र है जो राज्सव नहीं देता है। बास्क कर वसूली के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।

स्काटलैंड (ब्रिटेन) 
300 सालों से ब्रिटेन का हिस्सा रहे स्काटलैंड की अपनी संसद है। ब्रैक्जिट के बाद यहां आजादी की मांग ज्यादा जोर पकड़ने लगी है।

फ्लैंडर्स (बेल्जियम)
बेल्जियम के क्षेत्र फ्लैंडर्स में भी आजादी को लेकर चिंगारी उठ चुकी है। फ्लैमिश नेता बार्ट डी वेवर का कहना है कि एक दिन बेल्जियम का विभाजन होना तय है और इसे कोई नहीं रोक सकता। 

लोबार्ड व वेनेटो (इटली)
इटली के लोबार्ड व वेनेटो में भी 22 अक्तूबर आजादी को लेकर जनमत संग्रह हो चुका है । ये क्षेत्र अपनी समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। 

कोर्सिका (फ्रांस)
फ्रांस में कोर्सिका को 2000 में स्वायतता मिली थी। यहां सांस्कृतिक व धार्मिक कारणों को मुद्दा बनाकर आजादी की मांग की जा रही है। 

फरोए आईलैंड्स (डैनमार्क)
1948 से स्वायतशासी फरोए आईलैंड्स की  डैनमार्क से आजादी के लिए  2018 में जनमत संग्रह होगा। 

बावरिया (जर्मनी)
जर्मनी के सबसे समृद्धशाली प्रांत बावरिया में आजादी की आग भड़कती जा रही है। यहां के लोग आजादी के लिए हर संघर्ष को तैयार हैं जबकि यहां का कोर्ट इसे गैर कानूनी मानता है।


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