पाकिस्तान का बड़ा कबूलनामा, कहा- पुलवामा में हमारा हाथ था, सार्वजनिक तौर पर किया स्वीकार
punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 12:05 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। तनाव की चरम गर्मी के बीच एक अप्रत्याशित और चौंकाने वाले घटनाक्रम में पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने आखिरकार 2019 में पुलवामा में 40 अर्धसैनिक कर्मियों की हत्या में अपनी सीधी भूमिका स्वीकार कर ली है। पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) के महानिदेशक जनसंपर्क एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने शुक्रवार को एक सनसनीखेज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह दुर्लभ स्वीकारोक्ति दी। उन्होंने गर्व से कहा कि पुलवामा आतंकी हमला पाकिस्तानी सेना की "रणनीतिक प्रतिभा" का उत्कृष्ट उदाहरण था। यह कबूलनामा वर्षों के लगातार इनकार के बाद और विदेशी संवाददाताओं सहित दर्जनों मीडिया कर्मियों के सामने आया जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया।
इस स्वीकारोक्ति के साथ ही औरंगजेब अहमद ने न केवल पुलवामा हमले पर पाकिस्तान द्वारा ओढ़ी गई बेशर्मी की चादर को तार-तार कर दिया है बल्कि 22 अप्रैल के पहलगाम हमले में भी पाकिस्तान की संलिप्तता की पोल खोल दी है। यह दुर्लभ कबूलनामा पहलगाम आतंकवादी हमले में खुद को पाक साफ बताने के पाकिस्तान के झूठे दावों और भारत से अपनी संलिप्तता के बारे में सबूत मांगने के उसके पाखंडपूर्ण दिखावे के बिल्कुल विपरीत है।
एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने शुक्रवार को आत्मविश्वास से लबरेज लहजे में कहा, "अगर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र, भूमि, जल या उसके लोगों को कोई भी खतरा होता है तो कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इसे किसी भी कीमत पर अनदेखा नहीं किया जा सकता। हम अपने राष्ट्र के प्रति जवाबदेह हैं। पाकिस्तानी लोगों को अपने सशस्त्र बलों पर गर्व और अटूट भरोसा है जिसे हम हमेशा हर कीमत पर बनाए रखेंगे। हमने पुलवामा में अपनी सामरिक प्रतिभा के माध्यम से यह संदेश दुश्मन को देने की कोशिश की थी और अब हमने अपनी परिचालन प्रगति और रणनीतिक कौशल का भी शानदार प्रदर्शन किया है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए।" इस महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ आईएस पीआर के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी और नौसेना के एक प्रवक्ता भी मौजूद थे।
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बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद के बेटे हैं जिन्होंने अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी और आतंकवादियों को परमाणु हथियार तकनीक सौंपने की नापाक कोशिश की थी। उनका नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध समिति की आतंकवादियों की सूची में भी शामिल है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने पुलवामा हमले में अपनी किसी भी तरह की संलिप्तता से लगातार इनकार किया था जबकि जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के एक आत्मघाती हमलावर ने उस कायराना हमले में सीआरपीएफ के 40 बहादुर जवानों को शहीद कर दिया था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने उस हमले को "गहरी चिंता का विषय" जरूर बताया था लेकिन अपनी सेना के किसी भी तरह के रोल को सिरे से खारिज कर दिया था।
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पाकिस्तान ने हमेशा भारत से सबूत मांगे और उसके आरोपों का खंडन किया जबकि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने खुले तौर पर उस हमले की जिम्मेदारी ली थी। हमलावर आदिल अहमद डार को जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ने वाले भारत के डोजियर के बावजूद पाकिस्तान का इनकार जारी रहा जबकि जैश का मुख्यालय बहावलपुर में स्थित सुभान अल्लाह कैंप था जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना के सटीक हमलों ने मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया था।
पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बालाकोट में जैश के आतंकी शिविर पर एक साहसिक हवाई हमला किया था। आतंकी ठिकानों पर उस जवाबी कार्रवाई में भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया था।
पाकिस्तान की इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया के कारण दोनों देशों के बीच हवाई लड़ाई भी हुई थी जिसमें भारतीय लड़ाकू पायलट अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था। हालांकि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने कुछ दिनों बाद रिहा कर दिया था।
जबकि पाकिस्तान की सरकार ने आधिकारिक तौर पर कभी भी पुलवामा हमले में अपनी संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया था एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने कैमरों की चकाचौंध के सामने जो अप्रत्याशित बहादुरी दिखाई उसने वह कर दिखाया जो सालों के कूटनीतिक दबाव से भी नहीं हो सका था - पाकिस्तान ने आखिरकार पुलवामा हमले में अपनी घिनौनी भूमिका कबूल कर ली।