Report:अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी में पाकिस्तान

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 02:53 PM (IST)

इस्लामाबाद: अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान  का दोहरा चेहरा बेनकाब हो गया है।  तालिबान सरकार की तरफदारी करके पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना दोहरा चरित्र उजागर किया है। एक तरफ इमरान खान  सरकार अफगानिस्तान में शांति की बात करती है लेकिन दूसरी तरफ  तालिबान शासन के पक्ष में बयान देती नजर आती है। ग्रीक सिटी टाइम्स में वरिष्ठ भू-राजनीतिक विशेषज्ञ  पॉल एंटोनोपोलोस लिखते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने को लेकर पाक बेहद उतावला दिख रहा है। तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के लगभग एक महीने बाद हाल ही में अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा की है।

 

पाकिस्तान किसी भी तरह से अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्या देने की जल्दी में है, लेकिन समावेशी सरकार सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालने वाले देश इस हक में नहीं हैं। उन्होंने लिखा है कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने को लेकर पाकिस्तान जल्दबाजी दिखा रहा है। हालांकि दुनिया के ज्यादातर देश इस सरकार को मान्यता देने  के खिलाफ हैं। ग्रीक सिटी टाइम्स में प्रकाशित पॉल के लेख में कहा गया है कि पाकिस्तानी मंत्री खुले तौर पर तालिबान सरकार के समर्थन में उतर आए हैं। हालांकि इस नई सरकार को मान्यता देने से पहले यह देखना चाहिए कि वह अपने वादों पर कितना खरा उतरता है।

 

तालिबान ने एक ऐसी समावेशी सरकार बनाने का वादा किया है, जिसमें गैर तालिबान और महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो। लेकिन अंतरिम सरकार में जिन लोगों को शामिल किया गया है, उनमें से कई संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित हैं जबकि महिलाओं व अल्पसंखकों का पत्ता साफ कर दिया गया है। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा कि तालिबान को देश चलाने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए। उन्होंने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के अधिकारी फिलिपो ग्रांडी के साथ बैठक में यह बात कही। जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान सरकार के साथ संपर्क बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय को तालिबान को वक्त देना चाहिए, जिससे वे विधि संगत सरकार बनाने के साथ अपने वादों की दिशा में प्रगति साबित कर सकें।

 

 इस बीच पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ ने कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान में तालिबान के साथ रचनात्मक बातचीत करने की जरूरत है ताकि शासन व्यवस्था को ध्वस्त होने से बचाया जा सके तथा एक और शरणार्थी संकट को टाला जा सके। सेंटर फॉर एयरोस्पेस एंड सिक्योरिटी स्टडीज (CASS) इस्लामाबाद द्वारा ‘अफगानिस्तान का भविष्य एवं स्थानीय स्थायित्व: चुनौतियां, अवसर और आगे की राह’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अफगानिस्तान को फिर से अलग-थलग छोड़ना एक गलती होगी।

 

एक बयान में यूसुफ के हवाले से कहा गया है कि अफगानिस्तान में सोवियत-अफगान मुजाहिदीन संघर्ष के बाद पश्चिमी दुनिया ने अफगानिस्तान को अलग-थलग छोड़ने और इसके 'घनिष्ट सहयोगियों' पर पाबंदियां लगाकर भयावह गलतियां कीं।  उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश था जिसने अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ने और उसके बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का खामियाजा उठाया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News