पाकिस्तान के ग्वादर में मौलिक अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरे सैंकड़ों बच्चे
punjabkesari.in Tuesday, Nov 23, 2021 - 04:42 PM (IST)
पेशावरः पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर जिले में रविवार को अनावश्यक चेक पोस्ट और मछली पकड़ने वाली नौकाओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के साथ सैंकड़ों बच्चे भी सड़कों पर उतर आए। स्थानीय मीडिया 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों ने 'ग्वादर को हक दो' की मांग वाली तख्तियां और बैनर लिए पकड़ रखे थे। बच्चों ने शहर की विभिन्न सड़कों पर मार्च किया और बाद में मुख्य धरने में शामिल हो गए।
रैली के प्रमुख मौलाना हिदायत उर रहमान ने रैली का नेतृत्व करते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर नहीं है। रहमान ने ग्वादर के लोगों की बुनियादी समस्याओं को हल करने में विफल रहने के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की।
मौलाना हिदायत उल्लाह ने रैली को संबोधित करते हुए बलूच ग्वादर और मकरान के निर्वाचित प्रतिनिधियों की आलोचना की और उन्हें धरना में शामिल होने या विधानसभा से इस्तीफा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि जो प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा नहीं करते हैं, उन्हें लापता व्यक्तियों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। मौलाना बलूच ने कहा कि विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती के बावजूद सैंकड़ों अवैध ट्रॉलर बलूचिस्तान के पानी में अवैध रूप से मछली पकड़ने में शामिल थे, जिससे स्थानीय मछुआरे अपनी आजीविका से वंचित हो गए।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों से अवैध रूप से मछली पकड़ने पर तुरंत रोक लगाने और प्रांत में सभी शराब दुकानों को सील करने के लिए कदम उठाने को कहा। इसके अलावा मौलाना बलूच ने सभी लापता लोगों की बरामदगी की मांग की और कहा कि अगर वे किसी अपराध में शामिल हैं तो उन्हें अदालत में पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो हम 127 दिनों तक धरना जारी रखेंगे, ताकि इमरान खान का रिकॉर्ड तोड़ा जा सके, जिन्होंने 126 दिनों तक धरना दिया था।"
बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक संसाधन संपन्न लेकिन सबसे कम विकसित प्रांत है जहां पिछले कई दशकों से आजादी के लिए आंदोलन चल रहा है। कई बलूच लोगों का मानना है कि यह क्षेत्र 1947 से पहले स्वतंत्र था और पाकिस्तान द्वारा इस पर जबरन कब्जा कर लिया गया । जबकि एक के बाद एक सरकारों ने जबरन गायब होने को अपराध घोषित करने का वादा किया लेकिन किसी ने भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं और यह प्रथा बिना किसी दंड के जारी है। अपनी 2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स में अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान में महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों पर प्रकाश डाला है, जिसमें सरकार द्वारा गैरकानूनी या मनमानी हत्याएं और पश्तून, सिंधी और बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के जबरन गायब होने शामिल हैं।