पाकिस्तान ने हिंदू तीर्थ स्थल पंज तीरथ के पार्क को बना दिया गोदाम

punjabkesari.in Wednesday, Feb 22, 2023 - 11:28 AM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान में हिंदू तीर्थ स्थलों के साथ छेड़छाड़, तोड़फोड़ व उन अपवित्र करने का सिलसिला लगातार जारी है। ताजा मामले में पाकिस्तान के पेशावर में स्थित महाभारत काल से जुड़े 'पंज तीरथ'  की हालत बिगाड़ दी गई है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर में 'पंज तीरथ' कभी एक फलता-फूलता हिंदू तीर्थ स्थल हुआ करता था लेकिन अब यह स्थल एक गोदाम बन चुका है।  पेशावर में मौजूद इस समृद्ध हिंदू तीर्थ पर पांच जल कुंड (तालाब) मौजूद हैं। इन्हीं वजह से इसका नाम 'पंज तीरथ' है।  माना जाता है कि इस स्थान का संबंध महाभारत काल के राजा पांडु से है। यहां मौजूद पांचों तालाब महाकाव्य 'महाभारत’ में केंद्रीय पात्र अर्थात राजा पांडु के पांच पुत्रों (पांडवों) से जुड़े हैं।  

 

जानकारी के अनुसार पंज तीरथ में पानी के पांच तालाब तथा एक मंदिर और खजूर के पेड़ों वाला एक बगीचा भी है। हिन्दू कार्तिक महीने में इन तालाबों में स्नान करने आते थे और दो दिनों तक इन पेड़ों के नीचे पूजा-अर्चना करते थे। सन 1747 में अफगान दुर्रानी वंश के दौरान इस ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में 1834 में सिख शासन के दौरान स्थानीय हिन्दुओं ने इसे फिर से बनवाया और यहां एक बार फिर पूजा शुरू हो गई। लगभग 1,000 वर्षों से इस स्थल का इस्तेमाल हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया जाता रहा है। हालांकि, विभाजन के बाद, केवल दो ही जीर्ण-शीर्ण मंदिर बच पाए। बाद में यह क्षेत्र स्थानीय सरकार के हाथ से निकल गया और चाका यूनुस फैमिली पार्क का संचालन करने वाली एक निजी कंपनी को पट्टे पर बेच दिया गया।

 

हैरानी की बात यह है कि 2019 में, खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार ने पंज तीरथ को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया लेकिन फिर भी इसकी हालत बेहद खराब है। बिटर विंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां मौजूद मनोरंजन पार्क अब इन मंदिरों को गोदामों के रूप में इस्तेमाल करता है। पार्क की मालिक कंपनी ने प्रांतीय सरकार को बताया था कि वह साइट के एक कनाल (0.125 एकड़) और 11 मरला वापस देने के लिए तैयार है, लेकिन पुरातत्वविदों का दावा है कि इसमें पाँच कनाल (0.625) जमीन शामिल हैं यानी कंपनी जितनी जमीन वापस देने को तैयार है उससे लगभग छह गुना ज्यादा जमीन पर उसका अभी अवैध कब्जा है।

 

पुरातत्वविदों का कहना है कि जब वह साइट तक पहुंचने की कोशिश की, तो उन्हें हथियारबंद लोगों ने डरा- धमकाकर वहां से भगा दिया है और जितनी जमीन देने का वह वादा कर रहे थे, वह भी नहीं दिया। 10 फरवरी को, पेशावर उच्च न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि तीन साल से अधिक समय के बाद भी इस मुद्दे को हल नहीं किया गया है, और स्थानीय अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार के संदिग्ध होने का संकेत दिया। फिलहाल मामला अदालत में है और कोई हल नहीं निकला है। 


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Content Writer

Tanuja

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