पाक SC ने अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही के रिकॉर्ड तलब किए

punjabkesari.in Wednesday, Apr 06, 2022 - 02:23 PM (IST)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया और इस मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। ऐसे में देश में राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट लंबा खींचता दिख रहा है। नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था।

 

शीर्ष अदालत ने कुछ ही घंटों में इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लिया और पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू कर दी। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद सरकार को नेशनल असेंबली की कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि अदालत सरकार एवं विदेश नीति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती और वह केवल अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और बाद में नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए उपाध्यक्ष द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का पता लगाना चाहती है।

 

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार ने प्रधान न्यायाधीश बंदियाल को उद्धृत करते हुए कहा, “हमारा एकमात्र ध्यान उपाध्यक्ष के फैसले पर है...उस विशेष मुद्दे पर फैसला करना हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने कहा, ‘‘अदालत ने राज्य या विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं किया। हम नीतिगत मामलों में शामिल नहीं होना चाहते।" उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत यह देखना चाहती है कि क्या पीठ द्वारा उपाध्यक्ष के फैसले की समीक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अदालत केवल अध्यक्ष (स्पीकर) की कार्रवाई की वैधता पर फैसला करेगी। उन्होंने कहा, “हम सभी दलों से इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने को कहेंगे।”

 

 मंगलवार को सुनवाई शुरू होने पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसद रजा रब्बानी ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। पीपीपी उन तीन प्रमुख विपक्षी दलों में से एक है जो प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। रब्बानी ने कहा कि अदालत को संसदीय कार्यवाही के तहत किस हद तक छूट प्राप्त है इसकी पड़ताल करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ जो कुछ भी हुआ है, उसे केवल ‘सिविलियन मार्शल लॉ' कहा जा सकता है।'' ‘डॉन' की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि स्पीकर का फैसला ‘‘गैर कानूनी'' था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-95 का हवाला देते हुए कहा, ‘‘ बिना मतदान के किसी भी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता।'' रब्बानी ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जानबूझकर एक कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था, जिसमें एक विदेशी साजिश का भी हवाला दिया गया।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News