कोरोना वैक्सीन पर ऑक्सफोर्ड का पहला ट्रायल सफल, दूसरे चरण में 10,260 लोगों पर होगा परीक्षण

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 05:07 PM (IST)

लंदनः कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए दुनिया के कई देश वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर चीन, अमेरिका और यूरोप के हैं एवं दर्जनों अन्य टीके विकास के शुरुआती दौर में हैं। वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में शामिल ब्रिटेन भी उन देशों में है जिसके वैज्ञानिक कोरोना का उपचार ढूंढने के लिए शोध में जुटे हुए हैं। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का वैक्सीनोलॉजी विभाग वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रहा है। ऑक्सफोर्ड शोधकर्ताओं का दावा है कि वैक्सीन परीक्षण का पहला चरण सफल रहा और अब ट्रायल का दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है जिसमें 10 हजार से अधिक लोगों को शामिल किया जाएगा।

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विशेषज्ञों ने बताया कि अप्रैल में वैक्सीन का पहला ट्रायल 1000 से अधिक लोगों पर किया गया और अब अगले चरण में विभिन्न उम्र के लोगों में वैक्सीन के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए 10,260 वयस्कों और बच्चों को शामिल किया जाएगा  ताकि यह पता लगाया जा सके कि वृद्ध या बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर यह दवा कितनी अच्छी तरह से असर करती है। ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के प्रमुख एंड्रयू पोलार्ड ने कहा " अध्ययन बहुत अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है और यह व्यापक रूप से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन ट्रायल के प्रारंभिक परिणाम सितंबर तक आने की उम्मीद है।  कोरोना वायरस के इलाज के लिए करीब एक दर्जन संभावित टीके मानव पर परीक्षण शुरू करने के लिए शुरुआती चरण में पहुंच गए हैं या शुरू होने वाले हैं।

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उन्होंने कहा कि अध्ययन के तीसरे चरण में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ट्रायल में शामिल किया जाएगा ताकि पता लग सके कि इनमें वैक्सीन कैे प्रभाव दिखाती है और लोगों को संक्रमित और अस्वस्थ होने से बचाने के लिए कितनी अच्छी तरह काम करती है। इससे पहले प्रोफेसर गिलबर्ट ने इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने पर सफलता का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा था कि इसकी एक मिलियन डोज इसी साल सितंबर तक उपलब्ध हो जाएगी। बता दें कि ऑक्सफोर्ड की टीम इस वैक्सीन को लेकर आत्मविश्वास से इतनी भरी है कि क्लीनिकल ट्रायल से पहले ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है।

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इस संबंध में प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा था कि वे सितंबर तक क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने का इंतजार नहीं करना चाहते और हमने जोखिम के साथ बड़े पैमाने पर वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग भी शुरू कर दी है। प्रोफेसर हिल ने कहा कि 7 मैन्युफैक्चरर्स में से तीन ब्रिटेन, दो यूरोप, एक चीन और एक भारत से हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल सितंबर या अधिकतम साल के अंत तक इस वैक्सीन की एक मिलियन डोज उपलब्ध हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि तीन चरणों के ट्रायल की शुरुआत 510 वॉलंटियर्स के साथ हो गई है। तीसरे चरण तक 5000 वॉलंटियर्स के जुड़ने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस वैक्सीन की खोज में जुटी प्रोफेसर गिलबर्ट की टीम को ब्रिटेन के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और द यूके रिसर्च एंड इनोवेशन ने 2।2 मिलियन पाउंड का अनुदान दिया है।

 

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में टीका विकसित करने की काम में लगी टीम का नेतृत्व कर रहे एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ‘‘चिकित्सीय अध्ययन बहुत बेहतर तरीके से आगे बढ़ रहा है और हम बुजुर्गों में भी इस टीके का परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह टीका पूरी आबादी को सुरक्षा मुहैया करा सकता है।’’ इस हफ्ते की शुरुआत में दवा निर्माता एस्ट्राजिनसा ने कहा था कि उसने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके की 40 करोड़ खुराक के लिए करार किया है। टीके के विकास, उत्पादन और वितरण के लिए अमेरिकी सरकार की एजेंसी ने एक अरब डॉलर का निवेश किया है।


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Tanuja

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