OIC ने कश्मीर पर पाकिस्तान को फिर किया शर्मिंदा, इमरान सरकार बेइज्जती को बता रही जीत
punjabkesari.in Monday, Nov 30, 2020 - 05:18 PM (IST)
इस्लामाबादः जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से ही पाकिस्तान लगातार इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) से विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करता आ रहा है। इमरान खान इसके लिए इतने बेचैन थे कि उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी अगस्त में अपनी सीमा लांघ गए और ओआईसी मंच के इतर मुस्लिम देशों की बैठक बुलाने की धमकी दे डाली, जिससे सऊदी अरब नाराज हो गया। इमरान खान सरकार सरकार ने एक बार फिर ओआईसी को कश्मीर पर अलग से कार्यक्रम के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
नाइजर ने पाकिस्तान की मांग को ठुकराते हुए कहा कि हमने कोई इतर कार्यक्रम नहीं करने का फैसला किया है। नई दिल्ली के कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि नाइजर ने भारत के घरेलू मसले को आईओसी के मंच पर उठाने से मनाकर दिया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर को लेकर दर-दर की ठोकरें खा चुके इमरान खान की हालत ऐसी हो गई है कि अब वह जरा सी पुचकार को अपनी जीत बताने में जुट जाते हैं। रविवार को पाकिस्तान ने एक बार फिर OIC)के प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के जिक्र का दावा करते हुए इसे अपने लिए बड़ी जीत बताया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट करके कहा है कि नाइजर की राजधानी नियामी में हुए इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर मुद्दे को नियामी घोषणा में अहम स्थान दिया गया है।
हालांकि सच यह है कि पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे पर OIC में अलग से चर्चा की मांग करता रहा है, लेकिन हर बार उसे ठेंगा ही दिखाया गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ''नियामी डिक्लरेशन में जम्मू और कश्मीर विवाद को शामिल किया जाना- विदेश मंत्रियों की समिति के परिणाम दस्तावेज का अहम हिस्सा- कश्मीर मुद्दे पर OIC के लगातार समर्थन की एक और अभिव्यक्ति है।'' हालांकि, 57 सदस्यों वाले संगठन के सचिवालय की ओर से पारित प्रस्ताव को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।
इससे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को रविवार सुबह ही उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब OIC ने कश्मीर पर अलग से चर्चा की मांग को ठुकरा दिया। भारतीय अधिकारनों ने कहा कि नई दिल्ली को इस बात पर हैरानी नहीं होगी यदि प्रस्ताव में कश्मीर मुद्दे का प्रथागत संदर्भ दिया गया हो लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि जम्मू-कश्मीर पर अलग से चर्चा नहीं हुई। इमरान खान सरकार ने इसे अपने लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा था और एक बार फिर उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।