रूस से बढ़ते सैन्य रिश्तों पर नॉर्थ कोरिया ने दी सफाई-किम जोंग और पुतिन ‘शांति के पुजारी’
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 08:11 PM (IST)

International Desk: नॉर्थ कोरिया (उत्तर कोरिया) और रूस के बीच बढ़ते सैन्य रिश्तों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और आठ अन्य देशों की एक बहुपक्षीय निगरानी टीम ने इन संबंधों को "अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन" करार दिया है। इसके जवाब में अब नॉर्थ कोरिया की सरकार ने बयान जारी कर साफ किया है कि रूस के साथ उसका सहयोग "यूरोप और एशिया में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने" के लिए है, न कि युद्ध भड़काने के लिए।
रूस के लिए क्यों लड़ रहा है नॉर्थ कोरिया?
दक्षिण कोरिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद के लिए न सिर्फ हथियार भेजे हैं, बल्कि अनुमान है कि लगभग 600 उत्तर कोरियाई सैनिक युद्ध में मारे जा चुके हैं और हजारों घायल हुए हैं।इसके अलावा अप्रैल 2025 में नॉर्थ कोरिया ने खुद स्वीकार किया था कि उसने रूस की ओर से लड़ने के लिए सीमा पार सैन्य तैनाती की है। नॉर्थ कोरिया के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "रूस के साथ हमारा सैन्य सहयोग दोनों देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा हितों की रक्षा करता है। यह सहयोग एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने की दिशा में है जो समानता, न्याय और परस्पर सम्मान पर आधारित है।" उन्होंने नॉर्थ कोरिया-रूस संबंधों को "अंतर-राष्ट्रीय कूटनीतिक संबंधों का सर्वोच्च रूप" cream of inter-state relations) बताया।
क्या है बहुपक्षीय प्रतिबंध निगरानी समूह?
यह समूह 2023 के अंत में स्थापित हुआ था, जब रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उत्तर कोरिया निगरानी तंत्र को वीटो कर बंद करवा दिया। यह टीम अब संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र रूप से काम करती है और उत्तर कोरिया पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के उल्लंघन की निगरानी करती है। रिपोर्ट के अनुसार 2024 में रूस के जहाजों ने नॉर्थ कोरिया से 9 मिलियन आर्टिलरी राउंड और मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (MLRS) के गोले रूस भेजे। इसके बदले रूस ने उत्तर कोरिया को **एयर डिफेंस सिस्टम और एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें भेजी हैं।
क्या किम जोंग और पुतिन वाकई "शांति के पुजारी"
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का मानना है कि यह सहयोग संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का गंभीर उल्लंघन है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस गठजोड़ से यूक्रेन युद्ध लंबा खिंच सकता है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन बिगड़ सकता है। उत्तर कोरिया ने खुद को रूस का कूटनीतिक और सैन्य साझेदार बताते हुए यह दावा किया है कि उसका मकसद "शांति और स्थिरता" है। लेकिन हकीकत यह है कि नॉर्थ कोरिया न सिर्फ प्रतिबंधों की अवहेलना कर रहा है, बल्कि रूस की युद्ध मशीन का हिस्सा बन चुका है। क्या किम जोंग और पुतिन वाकई "शांति के पुजारी" हैं या यह सब सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी है? आने वाले महीनों में यह साफ हो जाएगा।