जर्मन सांसद की दो टूक: नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के नुकसान की भरपाई करे यूक्रेन

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2024 - 02:32 PM (IST)

बर्लिन: नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन पर हुए हमले में भूराजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अब भी जारी हैं। रूस अब भी अमेरिका पर उंगली उठा रहा है। जर्मनी ने एक यूक्रेनी गोताखोर की गिरफ्तारी का वारंट निकाला है । जर्मन सांसद ऐलिस वीडेल ने दो टूक शब्दों में  यूक्रेन से मांग की है कि वह नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को हुए नुकसान की भरपाई करे। ऐलिस वीडेल का कहना है कि "नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के विध्वंस से जर्मनी की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के लिए  यूक्रेन ज़िम्मेदार है और इस नुकसान की भरपाई यूक्रेन को करनी चाहिए।" यह बयान तब आया जब जर्मन अभियोजक कार्यालय ने पाइपलाइन तोड़फोड़ में शामिल होने के संदेह में एक यूक्रेनी नागरिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इस घटना से बर्लिन और कीव के बीच संबंधों में तनाव आ गया है। इस बीच, जर्मन सरकार ने संकेत दिया है कि वह अगले साल के बाद से संघीय बजट से यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता को बंद करने का विचार कर रही है। इसके बजाय, जर्मनी अंतरराष्ट्रीय फंड का इस्तेमाल कर सकता है।

 

क्या है नॉर्ड स्ट्रीम परियोजना
इस नाम की दो पाइपलाइनें हैं, नॉर्ड स्ट्रीम 1 (एनएस1) और नॉर्ड स्ट्रीम 2 (एनएस2). इन्हें रूस के सरकारी नियंत्रण वाली ऊर्जा कंपनी गाजप्रोम ने बनाया था. गाजप्रोम की एनएस1 में 51 फीसदी हिस्सेदारी थी. इसमें जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड्स की भी हिस्सेदारी थी. एनएस2 का 100 फीसदी मालिकाना हक गाजप्रोम के पास है. हालांकि इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रिया की कंपनियों ने मिलकर निर्माण लागत का 50 फीसदी खर्च उठाया.एनएस2 जर्मनी के लिए बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना थी। यह उसे सीधे रूसी गैस आपूर्ति से जोड़ने वाली थी। ऐसे में अमेरिका, पोलैंड, बाल्टिक देशों और यूक्रेन समेत कई सहयोगियों की आलोचनाओं के बावजूद जर्मनी इस पाइपलाइन योजना के साथ खड़ा रहा।आलोचकों का यह भी कहना था कि यह पाइपलाइन दरअसल जर्मनी की नाकाम और अदूरदर्शी ऊर्जा नीति का एक प्रतीक है, जो बताता है कि जर्मनी किस कदर रूसी गैस पर निर्भर हो चला है।


कब हुआ नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला
26 सितंबर 2022 को तड़के एनएस2 में शुरुआती गैस लीक हुआ। खबर आई कि बाल्टिक सागर के नीचे हुए विस्फोटों ने पाइपलाइन को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।  स्वीडन ने भूकंपीय रिकॉर्ड के आधार पर बताया कि विस्फोट हुए हैं। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडेरिक्सन ने कहा कि उनकी सरकार को इस घटनाक्रम के पीछे साजिश का अंदेशा है।यूरोपीय संघ के तत्कालीन विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने भी कहा,"ये घटनाएं महज संयोग नहीं हैं और हम सब पर असर डालती हैं. सभी उपलब्ध जानकारियां संकेत करती हैं कि ये लीक इरादतन की गई गतिविधि का नतीजा हैं। " शुरुआत से ही पश्चिमी देशों में कई जानकारों और नेताओं ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से घटना के पीछे रूस का हाथ होने का संदेह जताया लेकिन कई विशेषज्ञों ने यह भी रेखांकित किया कि बड़े निवेश और व्यापारिक हितों के कारण नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने में रूस का फायदा नहीं दिखता। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अमेरिकी मिलीभगत, तो कई ने यूक्रेन का हाथ होने की भी शंका जताई। कई महीनों तक अपुष्ट खबरों के अलावा कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई।  

 

साजिश में  किसका हाथ
जर्मन अखबार 'सुड डॉयचे साइटुंग' और अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने कहा है कि घटना के पीछे यूक्रेनी गोतोखोरों की एक टीम का हाथ हो सकता है, जिन्हें शायद यूक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों का समर्थन हासिल था। 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने बिना नाम लिए चार वरिष्ठ यूक्रेनी अधिकारियों के हवाले से बताया कि यूक्रेन के चार पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पाइपलाइन उड़ाने की योजना का नेतृत्व कर रहे थे। अखबार के मुताबिक, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शुरुआत में नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को उड़ाने की इस योजना को मंजूरी दी। अखबार ने आगे बताया कि 'अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने जेलेंस्की को चेताते हुए इस योजना पर अमल ना करने को कहा. सीआईए के कहने पर जेलेंस्की ने हमला रोकने की नाकाम कोशिश की।' खबर के मुताबिक, दावा है कि संबंधित सैन्य अधिकारों ने हमला रोकने के जेलेंस्की के आदेश की अनदेखी की और योजना पर आगे बढ़े। 


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Content Writer

Tanuja

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