चीन की राह पर पाकिस्तानः जेल बना दिया बलूचिस्तान, पाक सेना को मिली बेलगाम ताकत

punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 02:42 PM (IST)

Islamabad: आंतकवाद की पनाहगाह  पाकिस्तान अब मानवाधिकार हनन मामले में भी अपने दोस्त चीन की राह पर चल पड़ा है। जिस तरह चीन ने शिजियांग को उइगर मुसलमानों के लिए जेल बना रखा है  उसी तरह पाकिस्तान ने भी बलूचिस्तान में नया कानून लागू कर इसे जेल बना दिया है।   अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में पारित 'आतंकवाद विरोधी (बलूचिस्तान संशोधन) विधेयक, 2025'  ने मानवाधिकार संगठनों और बलूच समाज में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। इस कानून के तहत पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों को यह अधिकार मिल गया है कि वे किसी भी नागरिक को  सिर्फ शक के आधार पर बिना आरोप के 90 दिनों तक हिरासत में रख सकती हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह विधेयक बलूचिस्तान को एक ऐसी "खुली जेल" में तब्दील कर देगा जहां नागरिकों की स्वतंत्रता सेना के बूटों तले कुचल दी जाएगी।

 

कानून से डर का माहौल 
बलूचिस्तान विधानसभा में 4 जून को पारित हुए इस कानून पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया आई बलूच वॉयस फॉर जस्टिस और  बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) की ओर से। BYC ने कहा, “यह कानून बलूचिस्तान को एक कानूनी जेल में बदल देता है। यह नाजी जर्मनी और आधुनिक शिनजियांग जैसे दमनात्मक सिस्टम की याद दिलाता है।”

 

संयुक्त राष्ट्र और दुनिया से गुहार 
बलूच संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं और लोकतांत्रिक देशों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक व्यवस्था अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का खुला उल्लंघन कर रही है। बलूचिस्तान पहले से ही जबरन गायब किए गए लोगों की घटनाओं के लिए कुख्यात है। हजारों युवाओं को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बिना वारंट उठाया जा चुका है। कई के शव बाद में मिलते हैं, जबकि अधिकांश  दशकों बाद भी लापता  रहते हैं। अब यह नया कानून इन प्रथाओं को  कानूनी मान्यता देता है।

 

 प्रमुख चिंताएं 

  • नागरिकों को बिना वजह जेल में डालना
  •  पारदर्शिता का अभाव
  •  सैन्य एजेंसियों को अपार शक्ति
  •  भय और असुरक्षा का वातावरण

 

बलूच संगठनों का मानना है कि यह कानून न केवल उनकी संवैधानिक और मानवाधिकारों पर हमला है, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और विद्रोह और गहरा सकता है। यह देखना बाकी है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस खतरनाक बदलाव पर चुप रहेगा या कार्रवाई करेगा।  


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Content Writer

Tanuja

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