हांगकांग में भड़कती जा रही चीन के खिलाफ आग, जानें क्या है पूरा मामला?

punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2019 - 11:18 AM (IST)

 हांगकांग: हांगकांग में चीन के खिलाफ सुलगी चिंगारी अब ज्वाला बनकर भड़क चुकी है और हांगकांग नागरिकों का आंदोलन नए पड़ाव पर पहुंच चुका है। चीन के विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक के विरोध में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी अब बेकाबू होते जा रहे हैं।  लेकिन चीन ऐसा कोई आंदोलन नहीं चाहता है जो उनके लिए चुनौती बने और ना ही वे ये चाहते हैं कि लोकतंत्र की मांग की आगे हांगकांग से चीन तक आ पहुंचे। PunjabKesari

हांगकांग में 100 से अधिक उड़ानें रद्द
ताजा घटनाक्रम में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन के दौरान हांगकांग में सोमवार सुबह 100 से अधिक उड़ानों को रद्द कर दिया गया । हवाई अड्डे के अधिकारियों ने इससे यात्रियों को परेशानी होने की आशंका भी जाहिर की है। हवाई अड्डे पर उड़ानों के प्रस्थान के संबंध में दी गई जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह कम से कम 105 उड़ानें रद्द की गईं।  हवाई अड्डे के प्रवक्ता ने उड़ानें रद्द किए जाने के कारणों का खुलासा नहीं किया लेकिन कहा कि यात्री इस पर बात ध्यान दें कि उनका विमान रवाना होगा की नहीं। हवाई अड्डे ने एक बयान में कहा, ‘‘ हवाई अड्डे के अधिकारी यात्रियों को ‘एयरलाइन्स' से अपनी विमान संबंधी ताजा जानकारी हासिल करने का सुझाव देते हैं और अपनी सीट और विमान के उड़ान भरने के समय की पुष्टि होने पर ही हवाई अड्डे आएं।'' 

 

जाने क्या है मामला
बता दें कि हांगकांग में लाखों लोग चीन के विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक  के विरोध में  सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।  प्रदर्शनकारी 2017 के चुनाव में चीनी सरकार की ओर से दिए जाने वाले सीमित लोकतांत्रिक अधिकार को लेकर नाराज़ है। चीन की सख्त चेतावनियों के बावजूद इस अंतरराष्ट्रीय आर्थिक केंद्र में हिंसा हो रही है। शनिवार को लगातार नौवे सप्ताहांत को हिंसा हुई ।  हांगकांग और बीजिंग में अधिकारियों ने इस हफ्ते कड़ा रूख अपनाने के संकेत दिए हैं और कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया है।

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चीनी सेना एक्शन को तैयार
इन प्रदर्शनों से खफा 
चीनी सेना ने कहा है कि अगर उससे कहा गया तो वह 'असहनीय अशांति' को कुचलने के लिए हर एक्शन को तैयार है। लेकिन प्रदर्शनकारी चीन की इस चेतावनी  पर ध्यान नहीं दिया और अगले हफ्ते कई रैलियां और प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। शनिवार शाम को प्रदर्शनकारियों ने एक खंभे पर लगे चीनी झंडे को फाड़ दिया।

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हांगकांग के नागरिक इस वजह से हैं भयभीत
ऑलिविया एनोस, वरिष्ठ नीति विश्लेषक, एशियाई अध्ययन केंद्र, द हेरिटेज फाउंडेशन बेसिक लॉ के तहत हांगकांग 2047 में पूरी तरह से चीन के अधीन हो जाएगा। इस समय-सीमा के निकट आने के साथ ही इस द्वीपीय शहर के कई नागरिक अपने और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर भयभीत हैं।  विरोध प्रदर्शनों  का एक कारण यह भी है कि जो पीढ़ी निश्चित रूप से 2047 के सत्ता-हस्तांतरण के समय जीवित रहेगी, वह अब जागरुक हो रही है। हांगकांग की स्वतंत्रता को बचाने की आवश्यकता पर युवाओं और बुजुर्गों में आम सहमति है, लेकिन इसे हासिल करने के तौर-तरीकों को लेकर शायद सहमति नहीं है।

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2014 के अम्ब्रेला आंदोलन की खास भूमिका 
चीनी संसद पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने 31 अगस्त, 2014 को हांगकांग की चुनाव प्रणाली में बदलाव का फैसला किया था।  हांगकांग के निवासियों, खासकर युवाओं, की नजर में यह कदम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा हांगकांग के मुख्य प्रशासक के पद के उम्मीदवारों के चयन को प्रभावित करने के लिए उठाया गया था। इसके विरोध में छात्रों ने 22 सितंबर, 2014 से हड़ताल शुरू कर दी और 26 तारीख से प्रशासनिक मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन होने लगे। 2 दिन बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन भी शुरू हो गया। तब  हांगकांग प्रशासन और चीनी सरकार ने इस आंदोलन को अवैध घोषित कर दिया और इसके लिए पश्चिमी देशों को दोषी ठहराया पर, आंदोलनकारियों पर कोई असर नहीं हुआ। प्रशासनिक क्षेत्र में 77 दिनों तक यातायात बाधित रहा और 14 दिसंबर को ही इसे खाली कराया जा सका था. हालांकि, इस आंदोलन का कोई परिणाम नहीं निकल सका था, किंतु इससे युवा और छात्र समुदाय का तेजी से राजनीतिकरण हुआ और इसी प्रक्रिया की एक कड़ी 2019 का यह आंदोलन है।  

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हांगकांग को मिला है विशेष दर्जा
हांगकांग को मिला विशेष दर्जा उसे चीन के अन्य शहरों से अलग करता है।  ब्रिटिश उपनिवेश का 150 साल तक हिस्सा रहे हांगकांग द्वीप को ब्रिटिश शासन ने 1997 में ‘एक देश, दो तंत्र’ नीति समेत कई विशेष प्रावधानों के साथ चीन को सौंप दिया था।चीन का हिस्सा होते हुए भी अगले 50 वर्षों के लिए हांगकांग को (विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर) उच्च स्तर की स्वायत्तता प्रदान की गई है।नतीजतन, हांगकांग के पास स्वयं का विधि तंत्र, सीमा और संवैधानिक अधिकार है।  हांगकांग के पास कुछ विशेष अधिकार हैं, जिनसे चीन की मुख्य भूमि पर रहनेवाले लोग महरूम हैं। लेकिन, अब हालात तेजी से बदल रहे हैं।

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चीन का हस्तक्षेप बढ़ा
चीन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है, खासकर लोकतंत्र समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। विरोधियों और आलोचकों की गिरफ्तारी जैसे मामले सामने आ रहे हैं।हांगकांग के सदन में बीजिंग समर्थक सदस्यों का दबदबा बढ़ रहा है. हांगकांग का संविधान और बुनियादी कानून कहता है कि सदन के नेता और विधान परिषद का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत होगा। लेकिन, इस पर असहमति बढ़ रही है और लोकतंत्र समर्थकों पर कार्रवाई की जा रही है। 
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खुद को चीन से अलग मानते हैं ‘हांगकांगर्स’
हांगकांग के लोग खुद को चीन से अलग मानते हैं । हांगकांग में लोगों की चीनी नागरिकों के साथ नस्लीय समानता है, लेकिन ज्यादातर लोग खुद को चीनी नहीं मानते हैं।  हांगकांग विश्वविद्यालय के एक सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि लोग खुद चीनी स्वीकार करने के बजाय स्वयं को ‘हांगकांगर्स’ के तौर पर प्रस्तुत करते हैं।  मात्र 11 प्रतिशत लोग ही स्वयं को चीनी स्वीकार करते हैं।  सर्वे में 71 प्रतिशत लोगों का मानना है कि चीनी नागरिक के तौर पर वे गर्व महसूस नहीं करते। हांगकांग के निवासी कानूनी, सामाजिक और सांस्कृतिक भिन्नता का भी हवाला देते हैं. चीनी हस्तक्षेप के विरोध में बीजिंग के खिलाफ हाल के वर्षों में तेजी से आक्रोश बढ़ा है। 
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अब क्या होने वाला है?
 प्रदर्शनकारी आंदोलन से हटने को तैयार नहीं है। 2017 में प्रत्यक्ष चुनाव कराने के लिए हांगकांग सरकार को काउंसिल के सामने समर्थन के लिए राजनीतिक सुधार का खाका प्रस्तुत करना होगा। लोकतंत्र समर्थक सांसदों का कहना है कि वे चीनी फैसले पर आधारित किसी भी प्रस्ताव को समर्थन नहीं देंगे। अगर प्रत्यक्ष चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलती है तो हांगकांग में पहले की तरह ही चुनाव होंगे जिसमें 1200 लोगों की एक समिति होगी और जिसके सदस्य चीन समर्थक होंगे। 


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Tanuja

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