इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ट्विटर पर ट्रेंड में: जानें इसके पीछे की वजह

punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2024 - 09:28 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का हालिया अमेरिकी संसद में दिया गया भाषण चर्चा का विषय बन गया है। कुछ अमेरिकी सांसदों द्वारा बहिष्कार के कारण नेतन्याहू ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। इस घटना ने अमेरिका और इजरायल के बीच संबंधों पर एक नई बहस छेड़ दी है। 

1. नेतन्याहू का अमेरिकी संसद में संबोधन

क्या कहा नेतन्याहू ने: नेतन्याहू ने अपने भाषण में अमेरिका-इजरायल संबंधों को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सुरक्षा चिंताओं और मध्य पूर्व में इजरायल की भूमिका के बारे में भी बात की।

संबोधन का समय: यह भाषण ऐसे समय में हुआ जब इजरायल और अमेरिका के बीच कई नीतिगत असहमतियां चल रही हैं। नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राजनीति में इजरायल के प्रति नीति को लेकर बहस चल रही है।

2. सांसदों का बहिष्कार

बहिष्कार के पीछे के कारण: कई डेमोक्रेटिक सांसदों ने नेतन्याहू के फिलिस्तीनियों के प्रति कठोर नीतियों और वेस्ट बैंक में बस्तियों के विस्तार के विरोध में उनके भाषण का बहिष्कार किया।

राजनीतिक असर: इस बहिष्कार ने अमेरिकी राजनीति में इजरायल के प्रति रुख को लेकर चल रही बहस को और भी तेज कर दिया है। कुछ सांसदों का मानना है कि नेतन्याहू की नीतियां मध्य पूर्व में शांति वार्ता को बाधित कर सकती हैं।

3. सोशल मीडिया पर बवाल

ट्विटर पर प्रतिक्रियाएं: नेतन्याहू के भाषण के बाद ट्विटर पर उनके नाम का ट्रेंड शुरू हो गया। लोग अपने-अपने विचार और प्रतिक्रियाएं साझा कर रहे हैं। कई लोग नेतन्याहू के रुख का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य उनकी नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।

समर्थन और आलोचना: सोशल मीडिया पर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि नेतन्याहू की सुरक्षा और विदेश नीति के दृष्टिकोण का समर्थन करना चाहिए, जबकि अन्य उनकी नीतियों को मानवाधिकारों के खिलाफ मानते हैं।

4. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और विश्लेषण

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव: इस घटना ने अमेरिका और इजरायल के बीच के जटिल संबंधों को उजागर किया है। इससे यह भी पता चलता है कि कैसे दोनों देशों की आंतरिक राजनीति उनके कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है।

भविष्य की दिशा: इस घटनाक्रम के बाद अमेरिका और इजरायल के संबंध किस दिशा में आगे बढ़ेंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। इससे यह भी स्पष्ट होगा कि इस बहिष्कार का दोनों देशों की नीतियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।


 


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Content Writer

Pardeep

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