22 साल बाद अमेरिका ने लिया बदला, इजरायल ने ईरान में घुसकर अलकायदा के टॉप आतंकी को मारा
punjabkesari.in Saturday, Nov 14, 2020 - 02:12 PM (IST)
तेहरान: आखिरकार 22 साल अमेरिका ने केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हुए हमले का बदला 22 साल बाद पूरा कर लिया है। अमेरिका की ओर से इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के जवानों ने ईरान की राजधानी तेहरान में छिपे अलकायदा के कुख्यात आतंकी अबू मोहम्मद अल मस्त्री (58) को मार गिराया है। आतंकी अबू मोहम्मद अलकायदा का दूसरे नंबर का सरगना था। इस हमले में अलकायदा के पूर्व सरगना ओसामा बिन लादेन की एक बहू भी मारी गई है।
बता दें कि 9 अगस्त 1998 को अफ्रीकी देश केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हुए हमले में करीब 224 लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हो गए थे।। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अलकायदा ने ली थी। यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अबू मोहम्मद ऊर्फ अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला को उसकी बेटी के साथ गत 7 अगस्त को तेहरान की सड़कों पर गोलियों से भून दिया था। अमेरिका के बदले को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के सीक्रेट दस्ते ने अंजाम दिया है।
एक करोड़ डॉलर का इनाम
खबरों की मानें तो अबू मोहम्मद पर अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था। आतंकी अबू मोहम्मद को 7 अगस्त को मारा गया था लेकिन न तो अमेरिका, न ईरान और न ही इजरायल ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अबू मोहम्मद की हत्या में अमेरिका ने क्या भूमिका निभाई लेकिन माना जाता है कि अमेरिका ने इतने सालों से ईरान में रह रहे आतंकी की हर गतिविधि पर नजर रखी हुई थी।
ईरान ने भी मीडिया से इस बात को छुपाया
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि अबू मोहम्मद की हत्या का प्लान काफी सीक्रेट तरीके से बनाया गया था। ईरान के सरकारी मीडिया ने इस घटना की खबर दी कि मारे जाने वाले व्यक्ति का नाम हबीब दाउद और उसकी 27 साल की बेटी मरियम बताया था। ईरानी मीडिया ने बताया कि हबीब दाउद लेबनान का इतिहास का प्रफेसर था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि दाउद नाम का कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था और इस फर्जी नाम का इस्तेमाल ईरान की खुफिया एजेंसी के अधिकारी करते थे। ईरान के एजेंटों ने उसे शरण दे रखी थी