अमेरिका, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों के समर्थन के बाद भी भारत को क्यों नहीं मिल रहा UNSC में वीटो पावर? जानें
punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 05:24 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी अहम भूमिका को मजबूती से साबित किया है और दुनिया के कई देश अब यह मान रहे हैं कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए। रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति वार्ता के प्रयासों में भारत की सक्रिय भूमिका और वैश्विक शांति में योगदान को देखते हुए कई देशों ने इसका समर्थन किया है।
UNSC क्या है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) यूएन का सबसे शक्तिशाली अंग है। इसका मुख्य काम विश्व में शांति और सुरक्षा बनाए रखना, युद्ध और संघर्ष को रोकना और अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल करना है। जरूरत पड़ने पर यह प्रतिबंध (Sanctions) या सैन्य कार्रवाई की अनुमति भी दे सकता है।
सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य देश होते हैं। इनमें से 5 स्थायी सदस्य (Permanent Members) हैं – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। इन देशों को वीटो पावर (Veto Power) दी गई है। इसके अलावा 10 अस्थायी सदस्य (Non-Permanent Members) होते हैं, जिन्हें 2 साल के लिए चुना जाता है। भारत वर्तमान में अस्थायी सदस्य है।
भारत को समर्थन
रूस: विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि UNSC में सुधार जरूरी है और भारत एवं ब्राज़ील की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।
भूटान और मॉरीशस: दोनों देशों ने भारत को “एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी” बताते हुए स्थायी सीट देने का समर्थन किया।
फ्रांस: फ्रांस ने भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और जापान को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन किया और कहा कि परिषद में नई उभरती शक्तियों को शामिल किया जाना चाहिए।
अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2022 में UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव: गुटेरेस ने भी भारत की स्थायी सदस्यता की आवश्यकता और परिषद में सुधार का समर्थन किया।
भारत की सक्रिय भूमिका
भारत लगातार G-4 देशों (भारत, जापान, ब्राज़ील, जर्मनी) और L.69 समूह के साथ मिलकर स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन जुटा रहा है। साथ ही, भारत ने Global South देशों से भी बातचीत कर UNSC सुधार और स्थायी सदस्यता के लिए सहयोग मांगा है।
क्यों नहीं मिली स्थायी सदस्यता
UNSC में बदलाव के लिए UN चार्टर में संशोधन आवश्यक है। आर्टिकल 108 के अनुसार, संशोधन तभी लागू होगा जब महासभा के दो-तिहाई सदस्य और सभी P5 स्थायी सदस्य इसे मंजूरी दें। किसी भी P5 सदस्य का विरोध प्रक्रिया को रोक सकता है। चीन स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता और वीटो पावर को लेकर सबसे बड़ा विरोधक है।
भारत का पक्ष
भारत का तर्क है कि UNSC की वर्तमान संरचना (1945 की) आज की वास्तविकताओं को नहीं दर्शाती। भारत की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था, वैश्विक शांति अभियानों में योगदान और वैश्विक भूमिका को देखते हुए उसे स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। भारत अब तक 8 बार अस्थायी सदस्य रह चुका है (1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92, 2011-12, 2021-22) और लगातार स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है।
वीटो पावर का मुद्दा
वीटो पावर केवल P5 सदस्यों के पास है। नए स्थायी सदस्यों को वीटो मिलना चाहिए या नहीं, इस पर वैश्विक मतभेद हैं। भारत चाहता है कि स्थायी सदस्य बनने पर उसे वीटो पावर भी मिले, ताकि बराबरी का दर्जा सुनिश्चित हो।