Sheikh Hasina Death Penalty: पिता ने बनाया कानून, बेटी शेख हसीना बनी उसी का शिकार: क्या है बांग्लादेश का ICT?
punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 04:00 PM (IST)
नेशनल डेस्क: जिस कानून को उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान ने 1973 में युद्ध अपराधों के लिए लागू किया था, वही कानून अब उनकी बेटी शेख हसीना के खिलाफ बरस गया। देश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई, और इस फैसले ने बांग्लादेश की राजनीति और न्याय व्यवस्था में हलचल मचा दी है।
बांग्लादेश की राजनीति और न्याय व्यवस्था में एक इतिहासिक और विवादित मोड़ आ गया है। देश की अपनी इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराया है और उनके लिए मृत्यु दंड की सजा सुनाई है। कोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना और उनके सहयोगी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल, जुलाई-अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा और हत्या की घटनाओं में जिम्मेदार थे।
अभियोजन पक्ष ने इस दौरान उनके खिलाफ संपत्ति जब्ती और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की थी। फैसला देश की सरकारी टेलीविजन चैनल BTV और अन्य माध्यमों पर लाइव दिखाया गया, जबकि राजधानी ढाका में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। गौरतलब है कि शेख हसीना इस समय भारत में हैं और अदालत की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुई थीं।
पिता ने बनाया कानून, बेटी बनी उसी का शिकार: शेख हसीना को फांसी की सजा!
ICT: क्या यह सच में अंतरराष्ट्रीय है?
बहुत से लोग इसे देखकर सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह "इंटरनेशनल" क्यों कहलाता है, और अगर यह अंतरराष्ट्रीय है तो बांग्लादेश में क्यों मौजूद है। असल में, ICT कोई वैश्विक अदालत नहीं है। यह बांग्लादेश की एक राष्ट्रीय अदालत है, जो देश में 1971 के स्वतंत्रता युद्ध के दौरान हुए युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की सुनवाई के लिए बनाई गई थी।
ट्रिब्यूनल की उत्पत्ति और इतिहास
बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता हासिल करने के तुरंत बाद, 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री (शेख हसीना के पिता) शेख मुजीबुर रहमान की सरकार ने International Crimes (Tribunals) Act बनाया। इसका उद्देश्य था युद्ध अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना। लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल और प्रशासनिक कारणों के चलते यह कानून लंबे समय तक सिर्फ कागज पर ही रह गया।
ICT का नया दौर: 2010 से सक्रिय
2010 में, शेख हसीना की सरकार ने ICT-1 की स्थापना कर वास्तविक मुकदमों की प्रक्रिया शुरू की। इस ट्रिब्यूनल ने पाकिस्तान सेना के सहयोगियों, रजाकार और स्थानीय अपराधियों के खिलाफ कई केसों में फांसी और जेल की सजा दी। बाद में 2012 में ट्रिब्यूनल को दो भागों में बांटा गया, ICT-2 ने पुराने और नए मामलों की सुनवाई संभाली। 2010 से 2020 तक ICT ने कई बड़े फैसले दिए और देश के इतिहास में पहली बार ऐसे अपराधियों को न्याय के दायरे में लाया गया। अब 2024-25 के दौर में इसी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ नया मुकदमा चलाया है।
टाइमलाइन में देखें ICT का सफर
| वर्ष | घटना / ट्रिब्यूनल | विवरण |
|---|---|---|
| 1971 | स्वतंत्रता युद्ध | पाकिस्तान से बांग्लादेश ने आज़ादी हासिल की; बड़े पैमाने पर नरसंहार और युद्ध अपराध हुए। |
| 1973 | कानून का निर्माण | शेख मुजीबुर रहमान की सरकार ने International Crimes (Tribunals) Act बनाया। उद्देश्य: युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाना। |
| 1973-2010 | लंबा अंतराल | राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक कारणों से ट्रिब्यूनल निष्क्रिय रहा। |
| 2010 | ICT-1 | शेख हसीना की सरकार ने सुनवाई शुरू की। मुख्य आरोपी: पाकिस्तान सेना के सहयोगी और रजाकार। |
| 2012 | ICT-2 | पुराने और नए मामलों की सुनवाई अलग-अलग ट्रिब्यूनल में विभाजित की गई। |
| 2010-2020 | बड़े फैसले | कई दोषियों को फांसी और जेल की सजा दी गई। |
| 2024-202 | नया मुकदमा | शेख हसीना समेत कई लोगों पर मानवता और हिंसा के आरोपों में सुनवाई। |
