भारत में रह रही शेख हसीना की कैसी होगी गिरफ्तारी, क्या हैं कानूनी दाव पेंच जानें
punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 03:48 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हसीना को पिछले साल जुलाई-अगस्त में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जिसमें सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की थी। ट्रिब्यूनल ने 453 पेजों का विस्तृत फैसला सुनाया, जिसमें हसीना के अपराधों को 'मानवता के खिलाफ' करार दिया गया।
कई अपराधों का माना दोषी
तीन सदस्यीय बेंच ने हसीना के अलावा उनके दो शीर्ष सहयोगियों पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी सजा-ए-मौत सुनाई। कमाल और ममून पर भी जुलाई विद्रोह के दौरान हत्याओं के आदेश देने का आरोप साबित हुआ। हालांकि, ममून को राज्य साक्षी बनने के बाद फांसी से राहत दी गई। हसीना का ट्रायल अनुपस्थिति में (इन एब्सेंशिया) हुआ, क्योंकि वह अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद से भारत में निर्वासन में रह रही हैं।
ट्रिब्यूनल ने फैसले में कहा कि हसीना जनवरी 2024 के विवादास्पद चुनाव के बाद तानाशाही की ओर बढ़ गई थीं। विपक्ष को दबाने के बाद छात्र आंदोलन पर गोलियां चलवाने का आरोप लगाया गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, इस हिंसा में 1,400 से अधिक लोग मारे गए, ज्यादातर सुरक्षा बलों की गोलीबारी से। कोर्ट ने हसीना को हत्या, उकसावे, न्याय में बाधा और सजा रोकने जैसे छह प्रमुख अपराधों का दोषी पाया।
शेख हसीना की प्रतिक्रिया
भारत में रह रही हसीना ने फैसले को 'कंगारू कोर्ट' करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "यह पूर्वनिर्धारित और राजनीतिक रूप से प्रेरित है। मैं निर्दोष हूं।" हसीना ने आरोपों को 'हास्यास्पद' बताते हुए कहा कि यह अंतरिम सरकार की साजिश है।
कैसे हो सकती है गिरफ्तारी
हसीना के भारत में होने से सजा लागू करने का सवाल उठ रहा है। बांग्लादेश सरकार अब इंटरपोल (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन) के जरिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी करेगी, जो 194 सदस्य देशों को गिरफ्तारी के लिए अलर्ट करता है। यह नोटिस हसीना की तलाश और प्रत्यर्पण के लिए वैश्विक सहयोग मांगेगा।
बांग्लादेश भारत को आधिकारिक रूप से सूचित करेगा और सहयोग मांगेगा। भारत, जो हसीना को करीबी सहयोगी मानता है, यहां अहम भूमिका निभाएगा। यदि भारत प्रत्यर्पण से इनकार करता है, तो ढाका मामला संयुक्त राष्ट्र (UN) ले जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-बांग्लादेश संबंधों पर यह फैसला असर डाल सकता है, खासकर फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले।
ढाका में तनाव, सुरक्षा हाई अलर्ट
फैसले से पहले ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। पुलिस ने 'शूट ऑन साइट' का आदेश जारी किया था। फैसले के बाद भी शहर में बम विस्फोट और आगजनी की छोटी-मोटी घटनाएं हुईं, लेकिन बड़े हादसे की कोई खबर नहीं। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इसे 'न्याय की जीत' बताया, जो छात्र आंदोलन की मुख्य मांग पूरी करता है।
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है, जहां हसीना की अवामी लीग को चुनाव लड़ने से वंचित रखा गया है। अब देखना यह है कि भारत कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू होती है।
