जिंदा लाशों का शहर बन गया गाजा, 20 महीने से फंसे लोग बोले- यहां पैदा होना गलती है क्या?
punjabkesari.in Thursday, Jul 10, 2025 - 07:47 PM (IST)

International Desk: गाजा पट्टी का दक्षिणी हिस्सा आमरे अल सुल्तान में एक बड़ा मैदान जहां कभी खेल और खुशियों की आवाज़ गूंजती थी, वहां अब भूख, बदहाली और मौत का सन्नाटा पसरा है। इस मैदान में सफेद कपड़ों से बनाए गए छोटे-छोटे टेंट ही लोगों का नया ‘घर’ हैं। अंदर भूख से बिलखते बच्चे हैं, जो पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। कोई रो रहा है, कोई धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है। बमबारी से बचे लोग अब भूख और बीमारी के जाल में उलझ गए हैं। यहां चारों तरफ सिर्फ टूटे हुए मकान हैं। इजराइल की बमबारी ने पिछले 20 महीनों में गाजा को ऐसा मलबा बना दिया है, जहां इंसानियत दम तोड़ती नजर आती है। हर गली, हर खंडहर और हर टेंट एक दर्द भरी दास्तान सुनाता है।
हमारे बच्चों ने क्या गुनाह किया?
आला अबू खादेर ये नाम गाजा की एक आम महिला का नहीं, बल्कि हजारों बेसहारा मांओं की आवाज़ है। वे घंटों लाइन में लगी रहीं कि शायद कहीं से खाना मिल जाए, पर खाली हाथ लौटीं। उन्होंने रोते हुए कहा, ‘‘मैं तो भूख बर्दाश्त कर लूंगी, लेकिन मेरे बच्चों का क्या? हमारे पास आटा तक नहीं है। न पैसे हैं, न मदद। क्या हमारा गुनाह सिर्फ गाजा में पैदा होना है? कम से कम मुस्लिम देश तो हमारा साथ दें। 20 महीने से बस मरने जैसा जी रहे हैं। इससे तो मौत ही अच्छी है।’’ गर्मी में टेंट भट्टी की तरह तप रहे हैं। लोग दिन-रात भूख और हीट वेव के बीच जीने की कोशिश कर रहे हैं। कई मांओं ने कहा, ‘‘हम कब तक अपने बच्चों को यूं बिलखते देखेंगे? हम भी इंसान हैं।’’
घर बचाने भागे, बेटा खो दिया
हिशाम खालिद अल-मुगराबी कभी गाजा सिटी में अपने परिवार के साथ रहते थे। घर था, बच्चे थे, रोज़ी-रोटी थी। फिर इजराइली बमों ने सब छीन लिया। उनके मोहल्ले में दर्जनों घर मलबे में बदल गए। सेना बुलडोजर लेकर आई और मलबे में लाशें दफन कर दीं। हिशाम ने किसी तरह परिवार को बचाया और दक्षिण गाजा के डेयर अल बलाह इलाके में भाग गए। लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। बीते साल 28 अगस्त को हुई एक बमबारी ने उनके छोटे बेटे को छीन लिया। अब हालात ऐसे हैं कि उनका परिवार कब्रिस्तान के पास एक कोने में दिन-रात काट रहा है। सांप निकलते हैं, बमबारी की आवाज़ें आती हैं और जिंदगी जहन्नुम से भी बदतर लगती है।
गाजा में हर दिन भूख, बम और बेबसी
गाजा की ये कहानी किसी एक परिवार या एक मोहल्ले की नहीं। हजारों लोग 8-8 दिन से भूखे हैं। कईयों ने एक वक्त की रोटी के लिए अपने गहने बेच दिए। लेकिन अब बेचने को कुछ बचा नहीं। छोटे बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। पानी साफ नहीं है, दवाइयां नहीं हैं। टेंट बिछाकर लोग किसी तरह जिंदा हैं, लेकिन कब तक? यहां के लोग पूछते हैं ‘‘क्या गाजा में पैदा होना कोई पाप है? क्या हमारे बच्चे बस यूं ही भूख से मरने के लिए पैदा हुए हैं?’’
कब्रिस्तान ही घर फिर भी...
हर तरफ तबाही और मौत के बीच कुछ लोग अब भी जिंदा रहने की जिद पकड़े हुए हैं। मदद की आस लिए हैं। लेकिन सवाल वही मदद आएगी कब? कब तक मासूमों को यूं तिल-तिल मरते दुनिया देखती रहेगी? गाजा के लोग कहते हैं ‘‘हम भी जीना चाहते हैं, बस जिंदा रहने का हक चाह