तालिबान को बड़ा चैलेंज: पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह ने बनाई निर्वासित सरकार, खुद बने केयरटेकर राष्ट्रपति
punjabkesari.in Thursday, Sep 30, 2021 - 12:24 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के गठन के बावजूद पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान को चुनौती देते हुए अपनी निर्वासित सरकार का गठन कर दिया है। सालेह ने कहा है कि वो इस निर्वासित सरकार के कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी न तो उनके साथ हैं और न ही वो अफगानिस्तान में मौजूद हैं। खास बात यह है कि बयान में सालेह के अलावा किसी और नेता या अफसर का नाम नहीं बताया गया हो जो कार्यवाहक सरकार का हिस्सा होगा। पंजशीर में तालिबान को चैलेंज करने वाले अहमद शाह मसूद का नाम भी कहीं नहीं है। सालेह इस वक्त स्विटजरलैंड में मौजूद हैं। कुछ दिनों पहले पंजशीर में उनके भाई की तालिबान ने हत्या कर दी थी।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद सालेह कुछ सहयोगियों के साथ पंजशीर घाटी चले गए थे। इसके बाद से वो तालिबान के हाथ नहीं लगे। कुछ खबरों के मुताबिक, सालेह ताजिकिस्तान के रास्ते यूरोप और फिर स्विटजरलैंड पहुंचे। तालिबान ने अब तक सालेह की इस घोषणा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।अफगानिस्तान की खामा न्यूज एजेंसी से बातचीत में सालेह ने कहा मैंने निर्वासित सरकार का गठन कर दिया है। यही सरकार कानूनी तौर पर और दुनिया के लिए अफगानिस्तान की सर्वमान्य सरकार होगी। स्विटजरलैंड स्थित अफगानिस्तान एम्बेसी ने भी सालेह का यही बयान जारी किया है। इसे दुनिया की ज्यादातर न्यूज एजेंसी और दूतावासों को फैक्स के जरिए भेजा गया।
इस बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में जो सरकार बनाई है इंटरनेशनल लॉ के हिसाब से उसका कोई वजूद नहीं है और न ही वो अफगान लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। निर्वासित सरकार के बारे में संबंधित लोगों से बातचीत की गई है। हमारे मुल्क पर इस वक्त बाहरी लोगों का कब्जा है। बयान में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद उनके फर्स्ट वाइस प्रेसिडेंट अमरुल्ला सालेह देश की कमान संभालेंगे। इसमें एक्टिव एग्जीक्यूटिव्स, ज्यूडिशियल्स और लेजिसलेटिव पॉवर्स वाले लोग होंगे।