खालिस्तानियों को पालने वाला कनाडा खुद होगा दोफाड़, अल्बर्टा ने अलग राष्ट्र बनने की ओर बढ़ाया अगला कदम

punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 06:01 PM (IST)

International Desk: कनाडा, जो अब तक भारत के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों को खुलेआम पनाह देता रहा है, अब खुद अपनी एकता को लेकर गंभीर संकट में घिरता दिख रहा है। अल्बर्टा प्रांत की प्रमुख डैनियल स्मिथ ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अगर नागरिकों द्वारा दी गई याचिका पर पर्याप्त हस्ताक्षर मिलते हैं, तो वे 2026 में कनाडा से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराएंगी। सोशल मीडिया पर अपने लाइव संबोधन में डैनियल स्मिथ ने साफ कहा कि वह खुद अलगाव की पक्षधर नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अल्बर्टा की लगातार उपेक्षा और दमन ने अब वहां की जनता को मजबूर कर दिया है कि वे खुद तय करें कि उनका भविष्य कैसा होगा।

 

अल्बर्टा प्रमुख का बड़ा ऐलान
कनाडा के प्रांत अल्बर्टा की प्रमुख डैनियल स्मिथ ने सोमवार को  कहा कि अगर जनता की ओर से पर्याप्त समर्थन मिला, तो वे 2026 में कनाडा से अलग होने पर जनमत संग्रह कराने के लिए तैयार हैं। यह कदम कनाडा के इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। अपने साप्ताहिक सोशल मीडिया लाइवस्ट्रीम में बोलते हुए डैनियल स्मिथ ने कहा कि “मैं व्यक्तिगत रूप से अलगाव की समर्थक नहीं हूं। लेकिन अगर जनता चाहती है और कानूनी रूप से पर्याप्त हस्ताक्षर एकत्र हो जाते हैं, तो मैं जनमत संग्रह की प्रक्रिया को आगे बढ़ाऊंगी।”स्मिथ ने यह भी कहा कि उन्हें एक "मजबूत और स्वायत्त अल्बर्टा" चाहिए, लेकिन कनाडा के भीतर। हालांकि, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि “कनाडा की सरकार ने बीते दशकों में हमारे प्रांत के साथ जैसा व्यवहार किया है, क्या हम और सहेंगे? ये निर्णय अब अल्बर्टा की जनता को लेना है।”

 

 जनमत संग्रह की प्रक्रिया कैसे शुरू होगी?
कनाडा के कानून के तहत यदि किसी प्रांत में जनता द्वारा याचिका के ज़रिए संवैधानिक मुद्दे पर जनमत संग्रह की मांग होती है, और उस पर एक निश्चित संख्या में हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो प्रांतीय सरकार जनमत संग्रह की तारीख तय कर सकती है।डैनियल स्मिथ का बयान संकेत करता है कि अगर यह याचिका सफल रही, तो 2026 में अल्बर्टा की जनता यह तय करेगी कि वे कनाडा का हिस्सा बने रहना चाहते हैं या नहीं।

 

 क्यों भड़का अलगाव का मुद्दा?
हाल ही में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने चौथी बार संघीय सरकार बनाई है, जिसे अल्बर्टा में कई लोग "पश्चिमी कनाडा के साथ भेदभाव" के रूप में देखते हैं।तकनीकी रूप से, कनाडा का संविधान किसी प्रांत को अलग होने की अनुमति नहीं देता, लेकिन जनमत संग्रह का राजनीतिक प्रभाव बहुत बड़ा होता है।


क्यूबेक में दो बार हो चुका जनमत संग्रह 
क्यूबेक में दो बार जनमत संग्रह हो चुका है (1980 और 1995), जिसमें जनता ने बहुत मामूली अंतर से अलग न होने का फैसला किया था।अगर अल्बर्टा में यह जनमत संग्रह हुआ और लोगों ने अलग होने के पक्ष में वोट दिया, तो कनाडा की राजनीति में बड़ी संवैधानिक बहस और संकट उत्पन्न हो सकता है। कुछ आलोचकों का कहना है कि यह केवल एक राजनीतिक हथकंडा है जिससे संघीय सरकार पर दबाव बनाया जा सके।वहीं, समर्थक इसे "पश्चिमी कनाडा के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई" मानते हैं।

 

खालिस्तानी तत्वों से बढ़ा गुस्सा
अल्बर्टा सहित कई कनाडाई प्रांतों में लोगों का एक वर्ग लंबे समय से केंद्र सरकार से नाराज़ है, खासकर लिबरल पार्टी द्वारा खालिस्तानी गतिविधियों को नजरअंदाज करने या उन्हें बढ़ावा देने को लेकर। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और अब मार्क कार्नी की अगुवाई वाली सरकार पर आरोप है कि उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण देकर देश की अखंडता और वैश्विक प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुंचाया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Related News