चीन के नए ‘K Visa’ ऑफर से मचा बवाल, चीनी बोले-हम बेरोजगार और विदेशियो को मौका क्यों?

punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 11:48 AM (IST)

Bejing: चीन ने विदेशी पेशेवरों के लिए अपने बहुप्रचारित ‘K Visa' को एक अक्टूबर से लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि, विदेश में उसके सभी दूतावास राष्ट्रीय दिवस और त्योहारों की छुट्टियों के कारण आठ अक्टूबर तक बंद हैं, जिसके चलते ‘के वीजा' का क्रियान्वयन फिलहाल नहीं हो पाया है। बहरहाल, चीन में आर्थिक सुस्ती के कारण बढ़ती बेरोजगारी दर के मद्देनजर ‘K Visa' योजना को सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। चीन ने इस साल अगस्त में ‘के वीजा' योजना पेश की थी। हालांकि, यह योजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तभी सुर्खियों में आई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘H1B' वीजा का शुल्क बढ़ाकर सालाना एक लाख अमेरिकी डॉलर किए जाने की घोषणा की।

 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने 29 सितंबर को बीजिंग में संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि ‘के वीजा' का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विभिन्न देशों के साथ युवा पेशेवरों के आदान-प्रदान और सहयोग को सुविधाजनक बनाना है। ‘के वीजा' को चीन का ‘H-1B' वीजा करार दिया जा रहा है। हालांकि, सोशल मीडिया उपयोगकर्ता देश में उच्च बेरोजगारी दर के बीच इस वीजा को पेश किए जाने के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। चीन में बेरोजगारी दर पिछले दो वर्षों से लगभग 19 फीसदी बताई जा रही है। देश में हर साल औसतन 1.2 करोड़ युवा स्नातक तैयार होते हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को नौकरियां देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' की खबर के मुताबिक, फैसले की आलोचना कर रहे उपयोगकर्ताओं ने एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) विषयों में स्नातक की डिग्री को ‘K Visa' के एक प्रमुख मापदंड के रूप में निर्धारित किए जाने पर सवाल उठाए हैं।

 

खबर के अनुसार, कुछ उपयोगकर्ताओं का मानना ​​है कि यह नीति चीन में पढ़ाई करने वालों की तुलना में विदेशी स्नातकों को अनुचित रूप से तरजीह देती है, जबकि कई अन्य का कहना है कि नियोक्ताओं द्वारा प्रायोजित किए जाने की अनिवार्यता न होने से धोखाधड़ी का जोखिम बढ़ सकता है और निम्न-गुणवत्ता वाले आवेदकों की बाढ़ आ सकती है। एक उपयोगकर्ता ने चीनी सोशल मीडिया मंच ‘वीबो' पर लिखा, “घरेलू शैक्षिक प्रमाणपत्रों की गहन जांच करना पहले से ही कठिन है और ‘के वीजा' की शुरुआत के साथ विदेशी पेशेवरों के लिए इसकी व्यवस्था करने वाली वीजा एजेंसियों की बाढ़ आ जाएगी।” उसने सवाल किया, “प्रत्येक आवेदन की गहन जांच करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसमें कोई खामी नहीं है, कितने कर्मचारी और संसाधन लगेंगे?”

 

एक अन्य उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया, “क्या इस नीति का मतलब यह है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अन्य देशों की तुलना में कमतर है? ऐसा क्यों है कि चीन में स्नातक की पढ़ाई करने वाले युवा अच्छी नौकरी पाने के लिए संघर्ष करते हैं और उन्हें स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के लिए मजबूर किया जाता है, जबकि विदेशी स्नातक डिग्री धारकों को “तकनीकी प्रतिभा” माना जाता है?” उसने ‘के वीजा' आवेदकों के लिए स्नातकोत्तर डिग्री को न्यूनतम अहर्ता घोषित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि विदेशी और घरेलू स्नातकों के साथ समान व्यवहार होना चाहिए।  


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Content Writer

Tanuja

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