अफगानिस्तान में डिजिटल ब्लैकआउट: इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं पूरी तरह ठप, आम लोग दुनिया से कटे

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 04:29 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में सोमवार से अचानक डिजिटल ब्लैकआउट हो गया। पूरे देश में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं एक साथ बंद कर दी गईं। तालिबान सरकार के इस फैसले ने करोड़ों अफगान नागरिकों को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग कर दिया है। राजधानी काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ, उरुजगान और कई प्रांतीय शहर अब पूरी तरह से ऑफलाइन हैं।

कैसे बंद हुआ नेटवर्क?

स्थानीय लोगों के अनुसार, सबसे पहले फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट लाइनें काटी गईं। इसके बाद कुछ घंटों तक मोबाइल डेटा चल रहा था, लेकिन धीरे-धीरे मोबाइल टावर भी बंद होने लगे। अब न तो इंटरनेट चल रहा है, न ही कोई फोन कॉल किया जा सकता है।

तालिबान का आदेश

देश के इंटरनेट प्रदाताओं ने नोटिस जारी कर पुष्टि की है कि यह ब्लैकआउट तालिबान अधिकारियों के आदेश पर लागू किया गया। पहले भी तालिबान कुछ इलाकों में इंटरनेट बंद करता रहा है, लेकिन तब मोबाइल सेवाएं सीमित रूप से चालू रहती थीं। इस बार पहली बार दोनों चैनल – इंटरनेट और मोबाइल – पूरी तरह बंद कर दिए गए।

आम लोगों और कारोबार पर असर

इस डिजिटल ब्लैकआउट ने अफगान नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी है। परिवार अब अपने विदेश में रह रहे रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे। अंतरराष्ट्रीय कॉल और मैसेज पूरी तरह ठप हो गए हैं। कारोबारियों का कहना है कि उनका विदेशी क्लाइंट्स और सप्लायर्स से कनेक्शन टूट चुका है, जिससे व्यापार पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।

राहत संगठनों की चिंता

अफगानिस्तान पहले से ही मानवीय संकट से गुजर रहा है। लाखों लोग गरीबी, भूख और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। राहत और मानवीय सहायता संगठनों (NGO) के लिए अब जमीनी हालात का आकलन करना और भी मुश्किल हो गया है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठन यह नहीं जान पा रहे कि किन इलाकों में तुरंत मदद की जरूरत है। सहायता सामग्री और दवाइयां पहुंचाने में भी बड़ी बाधा खड़ी हो गई है।

क्यों लगाया गया ब्लैकआउट?

तालिबान ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन विशेषज्ञों और स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि यह कदम राजनीतिक नियंत्रण बनाए रखने के लिए उठाया गया। किसी भी बड़े विरोध प्रदर्शन या जनआंदोलन को रोकने के लिए तालिबान ने यह फैसला किया। इंटरनेट बंद कर सरकार आवाज़ उठाने वालों और असंतोष की खबरों को दबाना चाहती है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की संभावना

अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठन तालिबान की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों के लिए यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि बिना संपर्क और पारदर्शिता के अफगानिस्तान को कैसे मदद दी जा सकती है। यह कदम तालिबान की पहले से खराब छवि को और बिगाड़ सकता है।


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Content Writer

Pardeep

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