डेनमार्क ने ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप की नीयत पर उठाए सवाल, दिया कड़ा संदेश-"संप्रभुता से समझौता कभी नहीं"
punjabkesari.in Monday, Dec 22, 2025 - 03:22 PM (IST)
International Desk: ग्रीनलैंड को लेकर अमेरिका और डेनमार्क के बीच एक बार फिर तनाव उभरता दिख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड के लिए विशेष दूत नियुक्त किए जाने के बाद डेनमार्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उसकी क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हर हाल में किया जाना चाहिए। डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने सोमवार को कहा कि ग्रीनलैंड, डेनमार्क साम्राज्य का हिस्सा है और अमेरिका सहित सभी देशों को इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप द्वारा दूत की नियुक्ति यह दिखाती है कि अमेरिका की ग्रीनलैंड में दिलचस्पी अब भी बनी हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि डेनमार्क अपने अधिकारों से समझौता करेगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने रविवार को लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड के लिए अमेरिका का विशेष दूत नियुक्त करने की घोषणा की थी। ट्रंप ने कहा कि ग्रीनलैंड अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम है और यह कदम अमेरिकी हितों के साथ-साथ सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। वहीं, जेफ लैंड्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से इस भूमिका में सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात है। गौरतलब है कि ट्रंप पहले भी कई बार ग्रीनलैंड को अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में लाने की बात कह चुके हैं और सैन्य विकल्प से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया था। मार्च में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ग्रीनलैंड स्थित एक अमेरिकी सैन्य अड्डे का दौरा कर डेनमार्क पर वहां पर्याप्त निवेश न करने का आरोप लगाया था।
हालांकि कुछ समय के लिए यह मुद्दा सुर्खियों से बाहर हो गया था, लेकिन अगस्त में डेनमार्क ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया था, जब रिपोर्ट आई कि ट्रंप से जुड़े कुछ लोगों ने ग्रीनलैंड में गुप्त प्रभाव अभियान चलाए थे। डेनमार्क और अमेरिका दोनों नाटो के सहयोगी देश हैं, इसके बावजूद ग्रीनलैंड को लेकर मतभेद लगातार गहराते दिख रहे हैं। डेनमार्क की रक्षा खुफिया एजेंसी ने भी हाल ही में चेतावनी दी थी कि अमेरिका अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल कर मित्र और विरोधी देशों पर दबाव बना रहा है और सैन्य कार्रवाई की धमकी तक दे रहा है। ऐसे में ग्रीनलैंड को लेकर बढ़ता तनाव न केवल द्विपक्षीय संबंधों बल्कि आर्कटिक क्षेत्र की भू-राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है।
