ट्रंप का बड़ा फैसलाः शीर्ष सैन्य अधिकारी ब्राउन को हटाया, 5 और रक्षा अधिकारी भी निकाले
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 01:25 PM (IST)
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International Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार रात एक बड़ा फैसला लेते हुए जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ (JCS) के चेयरमैन जनरल चार्ल्स सी. क्यू. ब्राउन जूनियर को उनके पद से हटा दिया। ब्राउन, जो देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों में से एक थे, को केवल 16 महीनों के कार्यकाल के बाद बर्खास्त कर दिया गया। उनके साथ-साथ पेंटागन के पांच अन्य शीर्ष अधिकारियों को भी हटा दिया गया है। जनरल ब्राउन ने 2020 में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का समर्थन किया था, जो जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पूरे अमेरिका में फैल गया था। उस समय वे अमेरिकी वायुसेना के चीफ ऑफ स्टाफ थे। ट्रंप प्रशासन ने पहले भी इस आंदोलन को लेकर आलोचना की थी, और अब ब्राउन की बर्खास्तगी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
ब्राउन के अलावा, नौसेना की पहली महिला प्रमुख एडमिरल लिसा फ्रैंचेटी, वायुसेना के डिप्टी चीफ जेम्स स्लाइफ, और तीन अन्य वरिष्ठ सैन्य वकीलों को भी हटा दिया गया है। हालांकि, अभी बाकी तीन अधिकारियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। अमेरिका में आमतौर पर सरकार बदलने के बावजूद जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन को नहीं हटाया जाता, क्योंकि यह पद प्रशासनिक पुल का काम करता है। लेकिन ब्राउन केवल 16 महीने ही इस पद पर रह सके। वे अमेरिका के सैन्य इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे अश्वेत अधिकारी थे और एक 4-स्टार लड़ाकू पायलट थे।
ब्राउन की जगह अब ट्रंप के करीबी माने जाने वाले सेवानिवृत्त 3-स्टार वायुसेना जनरल डैन केन को नया JCS चेयरमैन बनाया गया है। ट्रंप और केन की मुलाकात 2018 में इराक में हुई थी, जहां केन ने ट्रंप के प्रति अपनी निष्ठा जताते हुए कहा था कि वे उनके लिए जान भी दे सकते हैं। ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया था कि जो बाइडेन प्रशासन ने डैन केन को 4-स्टार पदोन्नति से वंचित रखा था। नवनियुक्त रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने नवंबर में संकेत दिया था कि अमेरिकी सेना में विविधता और समानता (DEI) नीतियों को खत्म करने के लिए JCS चेयरमैन को हटाना होगा। अब ब्राउन की बर्खास्तगी को इसी बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी सैन्य प्रशासन और राजनीति में हलचल मच गई है। इसे न केवल एक सैन्य फेरबदल के रूप में, बल्कि ट्रंप की पुरानी नीतियों को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।