Bangladesh: तारिक रहमान की कभी ISI से थी सांठगांठ, अगर सत्ता में आए तो भारत को लेकर क्या होगी डिप्लोमेसी?
punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 05:47 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के हजारों कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और अपने नेता तारिक रहमान का जोरदार स्वागत किया। तारिक रहमान करीब 17 साल बाद लंदन से वापस बांग्लादेश लौटे हैं। वे लंबे समय से देश से बाहर रह रहे थे और बांग्लादेश में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
तारिक रहमान गुरुवार को ढाका पहुंचे और वहां अपने समर्थकों को संबोधित भी किया। उनके भाषण और इशारों से यह साफ हो गया है कि वे अब सक्रिय राजनीति में पूरी ताकत के साथ उतरने वाले हैं। इसी के साथ सवाल उठने लगा है कि क्या तारिक रहमान बांग्लादेश के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं? भारत को हालांकि, रहमान को लेकर भी फूंक-फूंक कर कदम रखने हैं क्योंकि उनके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से पुराने संबंध रहे हैं और भारत-विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पाई गई है।
बांग्लादेश में हुए तख्तापलट में तारिक रहमान की भूमिका
पिछले साल बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट में खालिदा जिया और तारिक रहमान की पार्टी बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) की बड़ी भूमिका थी। उस दौरान, भारत की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेश में तख्तापलट के पीछे सोशल मीडिया के जरिए आग भड़काने पर एक खास रिपोर्ट तैयार की थी. रिपोर्ट में पाया गया था कि बांग्लादेश के अराजक-प्रदर्शन के दौरान सोशल मीडिया पर पाकिस्तान से ही सामाजिक अस्थिरता फैलाने की साजिश रची गई थी।
कौन हैं तारिक रहमान?
तारिक रहमान बांग्लादेश के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवारों में से एक से आते हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं और उनके पिता जियाउर रहमान बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख रह चुके हैं। जियाउर रहमान ने ही बांग्लादेश में पहला सैन्य तख्तापलट किया था। तारिक रहमान बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। राजनीतिक विरासत के कारण वे लंबे समय से बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा रहे हैं।
बांग्लादेश की राजनीति के ‘युवराज’
तारिक रहमान को अक्सर बांग्लादेश की राजनीति का युवराज कहा जाता है. इसकी वजह उनका मजबूत राजनीतिक बैकग्राउंड है। उनके पिता राष्ट्रपति रह चुके हैं और मां प्रधानमंत्री। ऐसे में तारिक का नाम हमेशा से सत्ता के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में लिया जाता रहा है। BNP के समर्थक उन्हें पार्टी का असली चेहरा और भविष्य का नेता मानते हैं। कई बार यह भी कहा गया कि जब उनकी मां सत्ता में थीं, तब सरकार की असली कमान तारिक रहमान के हाथों में थी।
विवादों और आरोपों से भरा रहा राजनीतिक सफर
तारिक रहमान का नाम कई बड़े विवादों से भी जुड़ा रहा है. उन पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगे। आरोप था कि उन्होंने ‘हवा भवन’ के जरिए व्यापारियों और राजनीतिक विरोधियों से जबरन मोटी रकम वसूली। इन आरोपों के बाद बांग्लादेश के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग ने वर्ष 2007 में उनके खिलाफ जांच शुरू की। मामला इतना बड़ा था कि इसमें अमेरिकी FBI और सिंगापुर की अदालतें भी शामिल हुईं।
मनी लॉन्ड्रिंग केस और 17 साल का वनवास
जांच एजेंसियों का दावा था कि तारिक रहमान के जरिए 2 करोड़ डॉलर से ज्यादा की रकम विदेश भेजी गई। इन्हीं मामलों के चलते तारिक रहमान देश छोड़कर लंदन चले गए और वहां 17 साल तक रहे। इस दौरान वे बांग्लादेश लौटने की हिम्मत नहीं जुटा सके। हालांकि, 20 मार्च 2025 को अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में तारिक रहमान को बरी कर दिया। इसके बाद उनके बांग्लादेश लौटने का रास्ता साफ हो गया।
क्या अब ‘किंग’ बनने का वक्त आ गया है?
तारिक रहमान को लंबे समय से BNP का सबसे ताकतवर नेता माना जाता है। पार्टी की रणनीति, फैसले और दिशा काफी हद तक उन्हीं के इशारों पर तय होती है। उनके समर्थक उन्हें खुले तौर पर भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं। इस बीच बांग्लादेश की सियासत में बड़ा बदलाव आया है। शेख हसीना की पार्टी को आगामी चुनावों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है। ऐसे में BNP के सत्ता में लौटने की संभावनाएं काफी मजबूत मानी जा रही हैं। अगर BNP चुनाव जीतती है, तो यह तय माना जा रहा है कि तारिक रहमान बांग्लादेश की सत्ता की कमान संभाल सकते हैं।
बांग्लादेश की राजनीति एक नए मोड़ पर
17 साल बाद तारिक रहमान की वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति को पूरी तरह गरमा दिया है। समर्थकों में जबरदस्त उत्साह है, जबकि विरोधी इसे सत्ता पर कब्जे की तैयारी बता रहे हैं। अब आने वाले चुनाव ही तय करेंगे कि तारिक रहमान सच में बांग्लादेश के ‘किंग’ बनेंगे या नहीं।
