यूनुस की दोहरी चालः भारत से दोस्ती का दिखावा कर रहा बांगलादेश, पर्दे के पीछे चल रही अलग डिप्लोमेसी
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 12:15 PM (IST)
Dhaka: भारत-बांग्लादेश संबंधों में जारी तल्खी के बीच ढाका से सुलह के संकेत सामने आए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने कहा है कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस नई दिल्ली के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत से रिश्ते सुधारने की बात तो कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके उलट है। भारत-विरोधी माहौल, बयानों और विरोध-प्रदर्शनों के बीच यूनुस सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आर्थिक मजबूरी को कूटनीति का नाम दिया जा रहा है।

वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने कहा कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भारत के साथ तनाव कम करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन खुद स्वीकार किया कि यूनुस ने भारत से सीधे कोई संवाद नहीं किया है। एक ओर ढाका में भारत-विरोधी प्रदर्शनों, उकसाऊ बयानों और राजनयिक तनाव का माहौल है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक लाभ के लिए भारत से 50,000 टन चावल खरीदने का प्रस्ताव मंजूर किया गया है। सरकार ने खुले तौर पर माना कि भारत से चावल लेना वियतनाम जैसे देशों की तुलना में सस्ता है। यही दोहरा रवैया बांग्लादेश की नीयत पर सवाल उठाता है राजनीति में भारत के खिलाफ जहर, लेकिन अर्थव्यवस्था में भारत पर निर्भरता। 1971 में भारत और रूस के बलिदानों से आज़ाद हुए बांग्लादेश में आज वही इतिहास भुलाया जा रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि भारत-बांग्लादेश संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को तलब किया है और मिशनों के बाहर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके बावजूद ढाका यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि हालात “इतने खराब नहीं” हैं।भारत-विरोधी बयानबाजी को “राष्ट्रीय अभिव्यक्ति” से अलग बताने की कोशिश भी सवालों के घेरे में है। आलोचकों के मुताबिक, यह रणनीति बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रही है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा बन रही है।अहमद ने स्पष्ट किया कि यूनुस सरकार आर्थिक हितों को राजनीतिक बयानबाजी से अलग रखते हुए भारत के साथ व्यावहारिक और लाभकारी संबंध विकसित करना चाहती है।

उन्होंने कहा, “हमारी व्यापार नीति राजनीति से नहीं, बल्कि आर्थिक तर्क से संचालित होती है। अगर भारत से चावल सस्ता मिलता है, तो उसे वहीं से खरीदना समझदारी है।”इसी नीति के तहत बांग्लादेश ने भारत से 50,000 टन चावल खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या मोहम्मद यूनुस ने भारत से सीधे बातचीत की है, तो उन्होंने कहा कि मुख्य सलाहकार ने सीधे बात नहीं की, लेकिन इस मुद्दे से जुड़े विभिन्न पक्षों से संवाद जरूर किया है।यह बयान ऐसे समय आया है जब कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 1971 में स्वतंत्रता के बाद भारत-बांग्लादेश संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को तलब किया है और कई स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं।
