25 दिसंबर नहीं 7 जनवरी को मनाया जाता है क्रिसमस डे, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
punjabkesari.in Thursday, Dec 25, 2025 - 08:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: दुनियाभर में ईसाई धर्म के लोग हर साल 25 दिसंबर को प्रभु यीशु मसीह के जन्म का पर्व क्रिसमस बड़े उत्साह से मनाते हैं। लेकिन जब बात रूस, यूक्रेन, सर्बिया और कुछ अन्य देशों की आती है, तो यहां क्रिसमस 7 जनवरी को मनाया जाता है। यह फर्क पहली नजर में हैरान करता है, लेकिन इसके पीछे एक गहरी ऐतिहासिक और वैज्ञानिक वजह छिपी है। यह अंतर किसी परंपरा या संस्कृति का मामला नहीं, बल्कि अलग-अलग कैलेंडर प्रणालियों और उनमें समय-समय पर हुए सुधारों का नतीजा है।
जूलियन कैलेंडर से शुरू होती है कहानी
45 ईसा पूर्व में रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की थी। यूरोप में करीब 1500 साल से ज्यादा समय तक इसी कैलेंडर का इस्तेमाल होता रहा। इस कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं और हर चार साल में ये अतिरिक्त घंटे मिलकर एक दिन जोड़ देते हैं, जिसे लीप ईयर कहा जाता है।
बाद में खगोलविदों ने पाया कि सौर वर्ष की वास्तविक अवधि 365 दिन, 5 घंटे और 49 मिनट होती है, यानी जूलियन कैलेंडर से 11 मिनट कम। शुरुआत में यह फर्क बहुत छोटा लगा, लेकिन समय के साथ यह गलती बढ़ती चली गई। नतीजा यह हुआ कि हर 128 साल में कैलेंडर सूर्य की वास्तविक स्थिति से एक दिन पीछे हो जाता था।
ग्रेगोरियन कैलेंडर ने बदली तारीखें
16वीं शताब्दी तक यह अंतर इतना बढ़ गया कि कैलेंडर और सूर्य की स्थिति के बीच 10 दिनों का फासला आ गया। इसी गड़बड़ी को सुधारने के लिए 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर लागू किया।
इस नई प्रणाली में लीप ईयर के नियम बदले गए और 400 सालों में 100 की जगह 97 लीप वर्ष रखे गए, ताकि समय की यह छोटी-सी गलती आगे न बढ़े। ग्रेगोरियन कैलेंडर को यूरोप के कैथोलिक देशों ने तुरंत अपना लिया और धीरे-धीरे यह दुनिया का मानक कैलेंडर बन गया।
रूस में 7 जनवरी को क्यों आता है क्रिसमस?
रूस में क्रिसमस की तारीख अक्सर विदेशियों को चौंकाती है। यहां नया साल 1 जनवरी को और क्रिसमस 7 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी वजह यह है कि 1918 में बोल्शेविक सरकार ने रूस का नागरिक कैलेंडर तो ग्रेगोरियन सिस्टम में बदल दिया, लेकिन चर्च ने जूलियन कैलेंडर को ही अपनाए रखा। जूलियन कैलेंडर में 25 दिसंबर, ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से 7 जनवरी के बराबर पड़ता है। इसलिए रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च आज भी 7 जनवरी को क्रिसमस मनाता है।
एक देश, दो कैलेंडर
रूस में 1 जनवरी को नया साल एक नागरिक अवकाश होता है, जबकि 7 जनवरी को क्रिसमस एक धार्मिक अवकाश माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि रूस में नया साल क्रिसमस ट्री, उपहार और पार्टियों के साथ एक बड़ा शीतकालीन उत्सव बन चुका है।
यानी क्रिसमस की तारीखों का यह फर्क किसी विश्वास का नहीं, बल्कि इतिहास, खगोल विज्ञान और कैलेंडर सुधारों की लंबी कहानी का नतीजा है—जो आज भी दुनिया को दो अलग-अलग तारीखों पर एक ही पर्व मनाते हुए दिखाता है।
