दुनियाभर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों में जगी नई उम्मीद की किरण, चीनी डॉक्टरों ने इंसान के शरीर में Transplant किया सुअर का Liver
punjabkesari.in Thursday, Mar 27, 2025 - 09:00 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। चीन में डॉक्टरों ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए इंसान के शरीर में पहली बार जीन-एडिटेड सुअर का लिवर ट्रांसप्लांट किया है। इस ट्रांसप्लांट ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों में उम्मीद की नई किरण जगा दी है क्योंकि इस ट्रांसप्लांट से यह साबित हो गया है कि भविष्य में अंगों की भारी कमी को पूरा करने के लिए सुअर के अंगों का उपयोग किया जा सकता है।
यह ट्रांसप्लांट पिछले साल चीन के एक अस्पताल में ब्रेन-डेड मरीज पर किया गया था। डॉक्टरों के अनुसार सुअर का लिवर इंसान के शरीर में 10 दिनों तक पूरी तरह से कार्य करता रहा, रक्त प्रवाह सही बना रहा और शरीर में कोई सूजन या संक्रमण नहीं हुआ। इसे एक बड़ी सफलता माना गया है और इसे वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण शोध के रूप में देखा जा रहा है।
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अंगों की कमी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अमेरिका में अकेले 1 लाख से ज्यादा लोग अंग ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे हैं। इसके समाधान के रूप में वैज्ञानिक लंबे समय से सुअर के अंगों को इंसान में ट्रांसप्लांट करने की दिशा में काम कर रहे हैं क्योंकि सुअर के अंग इंसान के अंगों से काफी मिलते-जुलते होते हैं।
इससे पहले भी सुअर के किडनी और दिल के ट्रांसप्लांट इंसान में किए जा चुके हैं लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट ज्यादा चुनौतीपूर्ण था। लिवर का कार्य बहुत जटिल होता है क्योंकि यह रक्त को शुद्ध करता है, हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है और शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में मदद करता है।
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इस ट्रांसप्लांट के लिए सुअर के लिवर में छह जीन बदलाव किए गए थे ताकि यह इंसान के शरीर में बेहतर तरीके से काम कर सके। इस ट्रांसप्लांट के दौरान, इंसान का अपना लिवर भी मौजूद था ताकि यह देखा जा सके कि सुअर का लिवर कैसे कार्य करता है। हालांकि इस प्रयोग को 10 दिन बाद परिवार के अनुरोध पर समाप्त कर दिया गया।
वहीं इस शोध के सह-लेखक डॉ. लिन वांग ने इसे एक बड़ी उपलब्धि माना और कहा कि यह कदम भविष्य में अंगों की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है। इस सफलता ने यह भी साबित किया है कि सुअर के अंगों का उपयोग इंसान के शरीर में किया जा सकता है बशर्ते उन्हें सही तरीके से जीन-संशोधन किया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के ट्रांसप्लांट से भविष्य में लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।