नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से बौखलाया चीन, सड़कों पर उतारे लड़ाकू जेट और टैंक (Video)

punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 02:00 PM (IST)

 इटरनेशनल डेस्कः अमेरिकी संसद स्पीकर नैंसी पेलोसी के मंगलवार रात ताइवान पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया और ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इतना ही नहीं चीनी सेना ने  21 सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई वहीं द्वीप राष्ट्र के साथ सीमा के पास चीन के बख्तरबंद वाहनों और अन्य सैन्य उपकरणों की भारी आवाजाही को देखा गया।  चीन ताइवान पर अपना दावा करता आ रहा है और अमेरिका के ताइवान को समर्थन व अब नेन्सी की यात्रा से उसके इरादों पर पानी फिरने के आसार है । नैन्सी की ताइवान यात्रा के साथ ही चीन के खतरनाक इरादे सामने आ गए हैं और  चीनी सोशल मीडिया हैंडल "यिन सुरा" ने एक वीडियो क्लिप पोस्ट की जिसमें एक व्यस्त सड़क पर चीनी बख्तरबंद वाहनों को कतारबद्ध  दिखाया गया है ।

 

 चीन ने नैंसी पेलोसी की ताइवान की हाई-प्रोफाइल यात्रा पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिकी राजदूत को तलब किया है। चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका को इस गलती की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ताइवान में दखलअंदाजी बंद करे। बता दें कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइपे में उतरने के कुछ मिनट बाद  बीजिंग ने 'राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा' के लिए डिज़ाइन किए गए सैन्य अभ्यास की घोषणा की और 21 विमानों को द्वीप के वायु रक्षा क्षेत्र में भेजा और साथ ही साथ फ़ुज़ियान के तट पर टैंक तैनात कर दिए।  

 

  
इस बीचअमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने कहा कि दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करता है, हमें ताइवान के बारे में उसकी तकनीकी प्रगति के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के अधिक लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा। 

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अमेरिकी स्पीकर के दौरे से क्यों बौखलाया चीन?
ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका उसे सैन्य उपकरण बेचता है, जिसमें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। ओबामा प्रशासन ने 6.4 अरब डॉलर के हथियारों के सौदे के तहत 2010 में ताइवान को 60 ब्लैक हॉक्स बेचने की मंजूरी दी थी। इसके जवाब में, चीन ने अमेरिका के साथ कुछ सैन्य संबंधों को अस्थायी रूप से तोड़ दिया था। अमेरिका के साथ ताइवान के बीच टकराव 1996 से चला आ रहा है। चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी तरह का विदेशी दखल नहीं चाहता है। उसकी कोशिश रहती है कि कोई भी देश ऐसा कुछ नहीं करे जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले। यही, वहज है अमेरिकी संसद की स्पीकर के दौरे से चीन भड़क गया है। 


जानें क्या है चीन-ताइवान के बीच विवाद?
ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। 


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Content Writer

Tanuja

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