जलवायु संकट प्रति चीन के गैरजिम्मेदार रवैया का तिब्बत पर पड़ेगा असर, होगी पानी की किल्लत
punjabkesari.in Sunday, Sep 04, 2022 - 04:55 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के जलवायु संकट के प्रति गैरजिम्मेदार रवैये का असर तिब्बत पर दिखना शुरू हो गया है। चीन की गलती का खमियाजा तिब्बत को पानी की किल्लत से भुगतना पड़ सकता है। समय के साथ तिब्बत में जलवायु संकट गहरा रहा है। यहां के लोगों की जीविका मुख्य तौर पर खेती और पशुओं पर आधारित थी। साथ ही लोग खानाबदोश लाइफस्टाइल में भी रहते थे। लेकिन चीन के कब्जे के बाद से गंभीर जलवायु परिवर्तन ने तिब्बत को संवेदनशील इलाका बना दिया है और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इसकी देखभाल के बजाय चीन तिब्बत का इस्तेमाल अपने हित के लिए कर रहा है।
चाहे वह सामाजिक हो या आर्थिक दोनों ही तरीकों से चीन तिब्बत की जमीन और यहां के लोगों का इस्तेमाल अपने विकास में कर रहा है। तिब्बत को 'दुनिया की छत' कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी का उच्चतम क्षेत्र है। लगभग 16,000 फुट की ऊंचाई पर बसे तिब्बत को 'एशिया का जल मीनार भी कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की माने तो तिब्बत निचले इलाकों में रहने वाले करीब दो सौ करोड़ लोगों को मीठे पानी का आपूर्ति कराता है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार 2019 में चीन से 9.9 बिलियन टन कार्बन डाइआक्साड का उत्सर्जन हुआ था। वहीं अमेरिका से इस साल 4.7 बिलियन टन कार्बन डाइ आक्साइड का उत्सर्जन हुआ था। यहां होने वाले खनन व वनों की कटाई के अलावा कार और पावर प्लांट से निकलने वाले धुएं के कारण तिब्बत में जलवायु संकट हो रहा है। देश में बढ़ते जलवायु संकट की दर देश के भविष्य के लिए चिंता का कारण बन रहा है। सबसे गंभीर मुद्दा है इकोसिस्टम में हुआ बदलाव जो खेती और पानी को प्रभावित करेगा इससे यहां के लोगों की जीविका पर संकट बन जाएगा।