श्रीलंका में चीन नया जाल फेंक रहा, गरीबों के 19 हजार मकान बनाएगा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 27, 2023 - 06:39 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: चीन ने श्रीलंका में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए निम्न आय वर्ग पर नजर गढ़ा ली है। इसी कारण वह उनके लिए सस्ते मकान बनाने जा रहा है। श्रीलंका के शहरी विकास और आवास मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने बताया कि श्रीलंका गरीब परिवारों के लिए 19 हजार से अधिक सस्ते घर बनाने के लिए अक्टूबर में चीन से एक समझौता करेगा। यह करार बीजिंग में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव शिखर सम्मेलन में होगा। उसमें राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी भाग लेंगे।

श्रीलंका के विदेश मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की यह चाल आक्रामक तरीके से श्रीलंका में पैठ बढ़ाने के मंसूबे से जुड़ी है। वहीं भारत के लिए चेतावनी भी है। हालांकि भारत ने भी यहां निम्न आय वर्ग के लिए आवास बनाने का वादा किया है, लेकिन ये परियोजनाएं अटकी हुई हैं। रणतुंगा ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास में चीनी और भारतीय मदद की उम्मीद करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम चीन या भारत के पक्षधर हैं।

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कोलंबो अर्बन लैब के संस्थापक और निदेशक, इरोमी परेरा ने बातचीत के दौरान एक अखबार को बताया कि श्रीलंका को गरीबों के लिए मकान उपलब्ध कराने में मदद चाहिए है। इस मकसद को पूरा करने के लिए एशियाई विकास बैंक जैसे संगठनों से मदद मांग चुका है। पर ये नाकाफी रहे। इसी कारण दूसरे साधन तलाशने पड़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में श्रीलंका की ओर से पेश आवास और शहरी विकास की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में करीब 20% श्रीलंकाई घर केवल एक बेडरूम वाले थे।

इसमें भारतीय मूल के तमिलों की स्थिति और खराब थी। उनके 47 प्रतिशत मकानों में एक ही कमरा है। शहरी विकास प्राधिकरण (यूडीए) द्वारा 2011 में कोलंबो में हुए सर्वे के अनुसार, अनुमानित 68,812 परिवार 1,499 अवैध बस्तियों में रहते हैं। शहर की आबादी में इनका आधे से अधिक हिस्सा है। कोलंबो के थिंक टैंक फैक्टम की प्रमुख शोधकर्ता उदिता देवप्रिया के मुताबिक दोनों देश उसी तरह मदद करना चाहते जैसे अमेरिका या दूसरे पश्चिमी देश करते थे। भारत कई साल मदद देता आया है।

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बड़ी की बजाय अब छोटी परियोजनाओं पर ध्यान

देवप्रिया के मुताबिक चीन ने श्रीलंका में अपनी रणनीति बदल दी है। अब वह बड़ी परियोजनाओं के बजाय गरीबों की मदद करने पर ध्यान लगा रहा है। 2022 के आर्थिक संकट में ड्रैगन ने श्रीलंका में सरकार, मंदिरों, अपनी हितैषी समाज-संस्थाओं के जरिए राशन बंटवाया। करीब 2,000 घर बनाने में मदद की। मूवमेंट फॉर लैंड एंड एग्रीकल्चरल रिफॉर्म के चिंतका राजपक्षे ने कहा कि केंद्रीय हाइलैंड्स में संपत्ति क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में गरीब रहते हैं, पर चीन वहां मकान नहीं बनाएगा। माना जाता है कि यहां भारत की परियोजनाएं चल रही हैं। 2010 में भारत ने 50,000 मकान बनाने का ऐलान किया था।

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हालांकि इसमें से 1000 ही बन सके। शेष में विभिन्न मुद्दों के कारण देरी हुई। देवप्रिया के मुताबिक अगर भारतीय परियोजनाएं अटकी रहीं और चीन सफल हुआ तो उसके प्रति सोच बदल जाएगी। कोलंबो अर्बन लैब के संस्थापक और निदेशक, इरोमी परेरा ने दैनिक भास्कर को बताया कि श्रीलंका को गरीबों के लिए मकान उपलब्ध कराने में मदद चाहिए है। इस मकसद को पूरा करने के लिए एशियाई विकास बैंक जैसे संगठनों से मदद मांग चुका है। पर ये नाकाफी रहे। इसी कारण दूसरे साधन तलाशने पड़ रहे हैं।

नेपाल में सांस्कृतिक दखल बढ़ाने की तैयारी

नेपाल में चीन अब सांस्कृतिक तौर पर दखल बढ़ाने जा रहा है। इसका संकेत नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की चीन यात्रा से मिलता है। वहां दहल ने चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ 12 समझौते किए हैं। इन समझौतों में चीन के प्राचीन ग्रंथों और साहित्य सामग्रियों का नेपाली भाषा में प्रकाशन और वितरण के लिए चीन सरकार मदद शामिल है। समझौतों में सीमा से सटे हिल्सा-सिमीकोट सड़क परियोजना निर्माण, चीन की आयुर्वेदिक और पारम्परिक औषधि बनाने के लिए नेपाल से वनस्पति और जड़ी-बूटी सामग्री भेजने और इसके विकास में मदद करेगा। में चीन आधुनिक तकनीक देना भी शामिल है।


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News Editor

Parveen Kumar

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