यूक्रेनी नाजी सैनिक के सम्मान पर कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने मांगी माफी, जानें क्या है पूरा मामला
punjabkesari.in Thursday, Sep 28, 2023 - 06:08 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः हिटलर की सेना में शामिल रहे सैनिक के कनाडा की संसद में सम्मानित किए जाने के मामले में स्पीकर के इस्तीफे के बाद बुधवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने माफी मांगी। उन्होंने कहा, इस गलती से संसद और कनाडा की बदनामी हुई है, उसके लिए खेद है। यारोस्लाव हुंका (98) नाम का यह सैनिक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर की नाजी सेना की उस यूनिट में शामिल था जिसने यहूदियों और रूसी जनता पर अत्याचार किए थे। रूस ने कनाडा की संसद से नाजीवाद की निंदा करने की मांग की है।
बता दें प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों के लिए लड़ने वाले यूक्रेन के एक पूर्व सैनिक का कीव के नेता की यात्रा के दौरान खड़े होकर अभिवादन करना शर्मनाक है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि इस तरह की घटना को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है।
कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिवरे ने बुधवार को कहा कि नाजी इकाई के साथ लड़ने वाले एक यूक्रेनी सैनिक को संसदीय समारोह में भाग लेने के लिए निमंत्रण देना देश के इतिहास में सबसे बड़ी राजनयिक शर्मिंदगी है और वह इस घटना के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को दोषी ठहरा रहे हैं।
पार्लियामेंट हिल पर कंजर्वेटिव कॉकस की बैठक से पहले पत्रकारों से बात करते हुए पोइलिवरे ने कहा कि ट्रूडो यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की की कनाडा यात्रा को सफल बनाने के लिए जिम्मेदार थे और इस कार्यक्रम में यारोस्लाव हुंका के शामिल होने से वैश्विक मंच पर कनाडा की प्रतिष्ठा खराब हुई है।
इससे पहले कनाडा में हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर एंथनी रोट ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, 24 सितंबर को उन्होंने संसद में एक पूर्व नाजी सैनिक को वॉर हीरो बताकर सम्मानित किया था। हालांकि, बाद में स्पीकर ने अपनी इस गलती के लिए माफी मांग ली थी। उन्होंने कहा था कि मुझे नहीं पता था कि वो बुजुर्ग नाजी सैनिक है। मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है। मैं कनाडा में रह रहे यहूदी समुदाय के लोगों से माफी मांगता हूं। इस घटना के बाद से ही कनाडा की विपक्षी पार्टी स्पीकर के इस्तीफे की मांग कर रही थीं। दअरसल, नाजियों (एडोल्फ हिटलर की सेना) ने सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 11 लाख से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसमें ज्यादातर यहूदी थे।