Brexit के खिलाफ ब्रिटेन में तेज हो गई आवाज,लाखों लोगों ने किए हस्ताक्षर

punjabkesari.in Sunday, Jun 26, 2016 - 04:46 PM (IST)

लंदन: ब्रिटेन में यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के पक्ष में मतदान के बाद 10 लाख से अधिक लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर कर इस संबंध में दोबारा जनमत संग्रह कराने की मांग की है । याचिका पर ब्रिटिश संसद में चर्चा होगी । ब्रिटेन के हाऊस ऑफ कॉमंस में किसी मुद्दे पर बहस कराने के लिए 1,00,000 हस्ताक्षरों की जरूरत होती है । गुरूवार को हुए जनमत संग्रह में देश के 52 प्रतिशत लोगों ने यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने (लीव) के पक्ष में जबकि 48 प्रतिशत लोगों ने इसमें बने रहने (रिमेन) के पक्ष में मतदान किया । 

हालांकि लंदन, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड में यूरोपीय संघ में बने रहने के पक्ष में ज्यादा मतदान हुआ बाकी हिस्सों में सदस्यता छोड़ने के पक्ष में ज्यादा मतदान हुआ । कुल 72 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया । कल तक याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों की संख्या 10 लाख पहुंच गई थी । संडे मार्निंग 3,048,000 लोगों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे । बता दें कि इस याचिका पर केवल ब्रिटिश नागरिक और ब्रिटेन के निवासी ही हस्ताक्षर कर सकते हैं । याचिका पर लंदन समेत ज्यादातर उन इलाकों में रहने वाले लोगों ने हस्ताक्षर किए है जो ईयू में बने रहने के समर्थक है। 

ब्रेग्जिट के फैसले के बाद इस्तीफे की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा था कि ईयू पर दूसरा जनमत संग्रह नहीं होगा । कोमरिस के सर्वे में 1069 युवकों से यह भी पूछा गया कि अगले आम चुनाव कब होने चाहिए । एक तिहाई युवकों ने कहा कि अगले प्रधानमंत्री के लिए जल्द से जल्द शरद ऋतु में चुनाव होने चाहिए जबकि 23 प्रतिशत युवक अगले वर्ष की शुरुआत में चुनाव चाहते हैं । करीब 27 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वर्ष 2020 में चुनाव होने चाहिए ।  इनमें से ज्यादातर हस्ताक्षर लंदन, ब्रिघटन, ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और मैनचेस्टर के लोगों ने किए ।

विलियम आेलिवर हीले द्वारा शुरू की गई याचिका में कहा गया, ‘‘हम हस्ताक्षर अभियान के तहत ब्रिटिश सरकार से एक नियम लागू करने की मांग करते हैं कि 75 प्रतिशत से कम मतदान होने के साथ अगर रिमेन या लीव वोट 60 प्रतिशत से कम हों तो एक और जनमत संग्रह होना चाहिए ।’’ दूसरे जनमत संग्रह के लिए भारी संख्या में लोगों के हस्ताक्षर करने की वजह से एक समय संसदीय याचिका की वेबसाइट क्रैश हो गई । यह अस्पष्ट है कि याचिका द्वारा नियमों में बदलाव के लिए की गई मांग के बाद क्या इसे पिछली तारीख से लागू किया जाएगा अथवा क्या इसे ब्रिटिश कानून में जगह दी जाएगी या नहीं । 


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