Block Everything: फ्रांस में एक लाख से अधिक प्रदर्शनकारी सड़कों पर! सरकारी इमारतें और गाड़ियां फूंकी, 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात (Video)
punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 04:59 PM (IST)

Paris: नेपाली प्रदर्शन के बाद अब फ्रांस की सड़कों पर सरकार के खिलाफ एक नई आग सुलग गई है। “Block Everything” यानी “सभी कुछ बंद करो” आंदोलन ने फ्रांस को दोबारा हिलाकर रख दिया। सरकार के बजट कटौती नीतियों और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ सोमवार को प्रधानमंत्री फ्रांसोआ बायरो के सरकार गिरने के बाद, बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए।
🚨BREAKING🚨:CHAOS IN FRANCE 🇫🇷
— The_Independent (@TheIndeWire) September 10, 2025
Thousands flood streets in nationwide “Block Everything” protests against government economic policies. Clashes with police erupt, transport disrupted, 80,000 officers deployed as unrest mirrors Yellow Vest tensions. pic.twitter.com/yNoinBpA20
बुधवार को पूरे देश में करीब 1 लाख लोग सड़कों पर उतर आए। राजधानी पेरिस, स्ट्रासबर्ग और लियोन जैसे बड़े शहरों में हालात सबसे ज्यादा तनावपूर्ण रहे। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों और गाड़ियों में आग लगा दी। पेरिस की प्रमुख सड़कों पर दुकानों के शीशे तोड़े गए। दर्जनों पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।फ्रांस की सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए 80,000 से ज्यादा पुलिस और अर्धसैनिक बलों को देशभर में तैनात किया है। केवल पेरिस में ही 20 हज़ार पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं।
#BREAKING | 🇫🇷 France erupts in massive protests roads blocked, bins set ablaze, and clashes with police as the “Block Everything” movement intensifies against budget cuts and political unrest. pic.twitter.com/4hRF7XdJCe
— Alpha Defense™🇮🇳 (@alpha_defense) September 10, 2025
विरोध की वजह
सरकार की आर्थिक नीतियों, बेरोजगारी और महंगाई को लेकर जनता में गुस्सा है। साथ ही, यूरोपीय संघ में हाल ही में हुई बहस के बाद इजराइल-गाजा युद्ध पर फ्रांस सरकार की नीतियों के खिलाफ भी आवाज उठ रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार "जनता की परेशानियों" को नजरअंदाज कर रही है।फ्रांसीसी गृह मंत्रालय के अनुसार, अब तक 200 से ज्यादा उपद्रवी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। स्थिति को सामान्य करने के लिए सुरक्षा बल लगातार फ्लैग मार्च कर रहे हैं। नेपाल और अब फ्रांस दोनों जगह बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह यूरोप और एशिया में लोकतांत्रिक असंतोष की बढ़ती लहर का संकेत हो सकता है।