War Live: यूक्रेनी सैनिकों ने कई इलाकों पर फिर से कब्जा किया, रूसी सैनिकों पर बमबारी की

punjabkesari.in Sunday, Apr 03, 2022 - 05:00 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि कीव और चेर्नीहीव के आसपास के इलाकों पर यूक्रेनी सैनिक फिर से कब्जा कर रहे हैं और रूसी सैनिकों को कड़ी टक्कर देने के साथ ही उन पर बमबारी भी कर रहे हैं। जेलेंस्की ने शनिवार रात देश को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन जानता है कि रूस के पास यूक्रेन के पूर्व और दक्षिण में अधिक दबाव बनाने के लिए सुरक्षाबल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रूसी सैनिकों का लक्ष्य  डोनबास और यूक्रेन के दक्षिण पर कब्जा जमाना  है। जबकि  हमारा लक्ष्य   अपनी  आजादी, अपनी जमीन और अपने लोगों की रक्षा करना है।''

 

उन्होंने कहा कि अच्छी खासी संख्या में रूसी सैनिक मारियुपोल के आसपास तैनात है, जहां बचावकर्ता लगातार लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस विरोध के कारण, इस साहस और हमारे अन्य शहरों की प्रतिरोधक्षमता के कारण यूक्रेन ने अमूल्य समय हासिल किया, जिससे हमें दुश्मन के हथकंडों को नाकाम करने और उसकी क्षमताओं को कमजोर करने का मौका मिल रहा है।'' जेलेंस्की ने एक बार फिर पश्चिमी देशों से मिसाइल रोधी प्रणालियां और विमान जैसे अधिक आधुनिक हथियार देने की अपील की है।  

 

 

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस में दवाओं की कमी
यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रूस में कई जरूरी दवाओं की कमी हो गई है। युद्ध शुरू होने से पहले ही लोग रूस में अपने परिजनों, दोस्तों को सूचित कर रहे थे और सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश डाल रहे थे कि प्रतिबंधों की आशंका के कारण जरूरी दवाएं घर में खरीद कर रख लेनी चाहिए। समय बीतने के साथ मास्को और कुछ अन्य शहरों में दुकानों में कई दवाएं तेजी से खत्म होती गईं।

 

रूस में विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दवाइयों की कमी अस्थायी है लेकिन कुछ विशेषज्ञ चिंतित हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं रूसी बाजार से गायब हो जाएंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंधों से आपूर्तिकर्ताओं में घबराहट और आपूर्ति से जुड़ी कठिनाइयों के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। मास्को में हॉस्पिटल नंबर 29 में हृदय रोग गहन देखभाल इकाई के प्रमुख डॉ. एलेक्सी एरलिक ने कहा, ‘‘(दवा की) किल्लत हो सकती है। हालांकि यह समस्या कितनी गंभीर होगी, यह नहीं पता।'' युद्ध शुरू होने के बाद मार्च की शुरुआत से ही ऐसी खबरें आने लगीं कि रूस के लोगों को कुछ खास प्रकार की दवा मिलने में कठिनाई आ रही है। रूस के क्षेत्र दागिस्तान में मरीजों के हितों के लिए काम करने वाले समूह ‘पेशेंट मॉनिटर' को मार्च के दूसरे सप्ताह से इस तरह की किल्लत की शिकायतें मिलने लगी।  


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Content Writer

Tanuja

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