ब्रिटेन-कनाडा में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन, इमरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी (Video)
punjabkesari.in Monday, Aug 31, 2020 - 10:45 AM (IST)
लंदनः बलूच नागरिकों पर अत्याचारों को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रदर्शन हो रहे हैं। 'विक्टिम्स ऑफ इनफोर्स्ड डिस्पीयरेंस' के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन किए गए।ब्रिटेन में भी संसद और प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के आवास के बाहर 'सिंधी बलूच फोरम' और 'फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट' ने बलूचिस्तान में हो रहे दमनकारी शासन को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
#WATCH On the International Day of the Victims of Enforced Disappearances yesterday, the Sindhi Baloch Forum held a protest against Pakistan government, in front of UK Parliament in London pic.twitter.com/d3sdCrNI2q
— ANI (@ANI) August 31, 2020
इस दौरान 'सिंधी बलूच फोरम' के सदस्य हाथ में पाकिस्तान सरकार के विरोध के पोस्टर लिए हुए यूके की संसद के बाहर खड़े हुए। उन्होंने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों के बारे में बताया। दूसरी ओर 'फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट' के सदस्यों ने लंदन में स्थित यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के आवास का घेराव किया। समूह के सदस्यों ने 'बलूच नागरिकों की हो रही हत्याओं को रोकें' जैसे पोस्टरों के जरिए अपना विरोध दर्ज कराया।
उन्होंने ब्रिटेन सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान का समर्थन करने से रोकने का आग्रह किया क्योंकि उनका समर्थन पाकिस्तान को मानवता के खिलाफ अधिक अपराध करने की अनुमति दे रहा है।कार्यकर्ताओं ने कहा कि हजारों निर्दोष बलूच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और बाद में वे गायब हो गए हैं। उनमें से कई हिरासत में मारे गए हैं। उन्होंने हयात बलूच की हालिया हत्या की भी कड़ी निंदा की, जिसे फ्रंटियर कोर द्वारा उनके माता-पिता के सामने बलूचिस्तान के तुर्बत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
कार्यकर्ताओं ने अपील की कि इस संबंध में एक तथ्य खोजने वाला मिशन होना चाहिए और कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन का संज्ञान लेना चाहिए। इसके अलावा बलूच, सिंधी और पश्तून संगठनों के सदस्यों ने टोरंटो में पाक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान में जबरन इस्लाम में धर्मांतरण और हत्याओं को रोकने के लिए दबाव बनाने की मांग की गई। ।