रमजान में जुमे के दिन नमाज के समय अल-अक्सा मस्जिद पर बड़ा हमला
punjabkesari.in Friday, Mar 14, 2025 - 01:08 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: रमज़ान के पवित्र महीने में इज़राइली सैनिकों ने एक और कड़ी कार्रवाई की है, जिससे धार्मिक तनाव और बढ़ गया है। इस बार इज़राइली सैनिकों ने पूर्वी यरुशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद पर हमला किया, जब फ़िलिस्तीनी सुबह की नमाज़ के लिए एकत्र हो रहे थे। इस हमले ने न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाया बल्कि इसे एक और मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में भी देखा जा रहा है।
क्या है अल-अक्सा मस्जिद का महत्व?
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और फ़िलिस्तीनी समुदाय के लिए यह धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मक्का, मदीना और अल-अक्सा, ये तीन स्थल इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल माने जाते हैं। ऐसे में जब इज़राइली सैनिक इस मस्जिद के प्रांगण पर हमला करते हैं, तो यह धार्मिक स्वतंत्रता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है और मस्जिद की पवित्रता पर आक्रमण माना जाता है।
हमला और बढ़ते संघर्ष के संकेत
रमज़ान के दौरान नमाज़ पढ़ने के लिए फ़िलिस्तीनियों पर इज़राइली अधिकारियों ने भारी प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह हमला इस ओर इशारा करता है कि इज़राइल ने अब तक कड़े कदम उठाए हैं और फ़िलिस्तीनी मुस्लिमों के लिए अपनी धार्मिक गतिविधियाँ जारी रखना कठिन बना दिया है। युद्धविराम के बाद से ग़ाज़ा में हर दिन तीन फ़िलिस्तीनियों की हत्या की जा रही है, जो मानवाधिकार संगठनों द्वारा चिंता का विषय बना हुआ है।
अल-अक्सा मस्जिद पर हमले के बाद की स्थिति
इज़राइली सैनिकों ने जब अल-अक्सा मस्जिद पर हमला किया, तो फ़िलिस्तीनी नमाज़ के लिए एकत्रित थे। इस हमले के बाद से स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है। हमास ने अब इज़राइल से दक्षिणी ग़ाज़ा से अपनी सेना हटाने की मांग की है। ग़ाज़ा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई से कई निर्दोष नागरिकों की जानें जा चुकी हैं, और यह संघर्ष कई महीनों से लगातार बढ़ता जा रहा है।
अल-अक्सा मस्जिद पर इज़राइली सैनिकों के हमले ने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार के उल्लंघन का मामला एक बार फिर से उजागर कर दिया है। इस हमले से न केवल फ़िलिस्तीनी मुसलमानों को, बल्कि पूरी मुस्लिम दुनिया को गहरी चोट पहुँची है। धार्मिक स्थानों पर इस तरह के हमले, खासकर जब वे पवित्र महीनों में हो, तो यह और भी ज्यादा संवेदनशील बन जाते हैं।
इज़राइल का रवैया और बढ़ता विरोध
इज़राइल का यह रवैया फिलिस्तीनी समुदाय और मुस्लिम दुनिया में बड़े विरोध को जन्म दे सकता है। रमज़ान के दौरान इस प्रकार के हमलों से इस्लामिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गुस्सा बढ़ सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़राइल के खिलाफ आवाज़ उठ सकती है।
हमास की प्रतिक्रिया
हमास ने इज़राइल से मांग की है कि वह अपने सैनिकों को ग़ाज़ा से हटाए और फ़िलिस्तीनी समुदाय के धार्मिक अधिकारों का सम्मान करे। हमास का कहना है कि इज़राइली सेना का यह कदम धार्मिक स्थलों पर हमला करने के समान है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। इसके साथ ही उन्होंने ग़ाज़ा में शांति स्थापित करने की भी मांग की है।