वैज्ञानिकों ने बनाया आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम, खोलेगा धार्मिक हिंसा का राज
punjabkesari.in Tuesday, Nov 06, 2018 - 11:33 AM (IST)
लंदनः वैज्ञानिकों ने एक आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमता प्रणाली विकसित की है जो यह बेहतर तरीके से समझा सकती है कि धार्मिक हिंसा किस वजह से भड़कती है। जर्नल फॉर आर्टीफिशियल सोसाइटीज एंड सोशल स्टिमुलेशन में प्रकाशित यह अध्ययन ङ्क्षहसा के दो मामलों पर ध्यान केंद्रित करता है, पहले में, संघर्ष को सामान्य रूप से ‘नदर्न आयरलैंड ट्रबल्स’ के तौर पर संर्दिभत किया गया जिसे आयरिश इतिहास के सबसे ङ्क्षहसक दौर के तौर पर देखा जाता है।
ब्रिटिश सेना और विभिन्न रिपब्लिकन और लॉयलिस्ट अर्धसैनिक समूहों के बीच करीब तीन दशक तक चले संघर्ष में करीब 3,500 लोगों की जान गई और 47,000 लोग जख्मी हुए थे। दूसरे मामले में यद्यपि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान तनाव की काफी छोटी अवधि भी लगभग उतनी ही खौफनाक थी। गुजरात दंगों के दौरान 2000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिर्विसटी और अमेरिका की बोस्टन यूनिर्विसटी के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि लोग प्राकृतिक रूप से शांतिप्रिय प्रकृति के होते हैं। संकट के समय जैसे प्राकृतिक आपदा के दौर में भी लोग साथ आते हैं।
व्यापक संदर्भों में से वे हिंसा को अपनाने के इच्छुक होते हैं- खासतौर पर जब दूसरे लोग उन मूल मान्यताओं के खिलाफ जाते हैं जो उनकी पहचान को परिभाषित करती है। यह शोध स्पष्ट रूप से हिंसा का अनुकरण नहीं करता लेकिन इसके बजाए अज्ञात लोगों से डर की सामाजिक बेचैनी के दो विशिष्ट कालों की परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो बाद में चरम शारीरिक ङ्क्षहसा में बढ़ जाती है।
इसमें कहा गया कि सिर्फ जब लोगों की मूल मान्यता प्रणाली को चुनौती दी जाती है या जब उन्हें महसूस होता है कि उनकी अपनी मान्यताओं के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, तब यह बेचैनी या व्याकुलता पैदा होती है। इन परिदृश्यों में बेचैनी सिर्फ 20 प्रतिशत में हिंसा का सबब बनती है । शोधकर्ताओं ने कहा, ‘‘आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस से हमें धार्मिक हिंसा को बेहतर तरीके से समझने और प्रभावी तरीके से उसके नियंत्रण में मदद मिल सकती है।’’