खालिस्तानी समर्थन अब नहीं चलेगा, कनाडा ने बताया इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कनाडा की शीर्ष सुरक्षा एजेंसी ने एक बड़ा और गंभीर बयान दिया है। एजेंसी के अनुसार अब खालिस्तानी सक्रियता को सिर्फ विचारधारा या राजनीतिक मुद्दा नहीं माना जा सकता बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा माना गया है। इस चेतावनी के बाद सिख समुदाय खासकर उन लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए जो कनाडा में खालिस्तान के नाम पर शरण ले रहे हैं या इस विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं।
सिख समुदाय को गंभीरता से सोचने की जरूरत
सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार कुछ लोग कनाडा में स्थायी निवास पाने या शरण लेने के लिए खालिस्तान के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वे दिखा रहे हैं कि वे भारत में खालिस्तानी विचारधारा के कारण सताए गए हैं और इसी आधार पर राजनीतिक शरण की मांग कर रहे हैं। कुछ मामलों में लोगों ने अपने केस को मजबूत करने के लिए पैसे देकर समर्थन पत्र (support letters) भी खरीदे हैं। ये पत्र यह दिखाते हैं कि वह व्यक्ति खालिस्तानी विचारधारा का समर्थक है और उसे भारत में जान का खतरा है।
यदि आप खालिस्तान का समर्थन करते हैं या इससे जुड़े संगठनों को किसी भी रूप में सहायता दे रहे हैं चाहे विचारधारात्मक, वित्तीय या नेटवर्क के रूप में तो आप कनाडा की आतंकवाद विरोधी नीतियों के अंतर्गत आ सकते हैं।
इसका मतलब है:
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गिरफ़्तारी का खतरा
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भारत को प्रत्यर्पण (deportation)
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आजीवन कारावास तक की सजा
कई लोगों को लगता है कि खालिस्तान का समर्थन एक राजनीतिक विचारधारा है, जो उन्हें आज़ादी से रखने का अधिकार है। लेकिन अब, जब कनाडा जैसे देश इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मान रहे हैं, तो यह विचारधारा अब सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि एक आपराधिक जोखिम बन चुकी है।
क्या है खालिस्तानी आंदोलन और क्यों बना खतरा
खालिस्तानी आंदोलन पंजाब को भारत से अलग कर एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग करता है। हालांकि भारत में यह विचारधारा बहुत सीमित है लेकिन विदेशों में खासकर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में कुछ समुदायों द्वारा इसे बढ़ावा दिया गया। इन गतिविधियों के पीछे अक्सर कुछ ऐसे संगठन भी रहे हैं जो हिंसा और आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।
कनाडा सरकार की रिपोर्ट क्यों है अहम
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कनाडा सरकार का रुख साफ हो गया है — वे अब ऐसे किसी भी संगठन या व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यह चेतावनी सिर्फ एक दस्तावेज नहीं बल्कि सिख समुदाय के लिए एक गंभीर संकेत है कि उन्हें अब सोच-समझकर निर्णय लेने की ज़रूरत है।