लंदन पर कतर का कब्जा ! ब्रिटिश किंग से अधिक संपत्ति का मालिक बना ये शाही परिवार, UK में एयरपोर्ट-मॉल सब इनके नाम
punjabkesari.in Monday, Mar 31, 2025 - 03:16 PM (IST)

London: कतर के शाही परिवार अल-थानी ने लंदन में इतनी संपत्ति अर्जित कर ली है कि वे अब ब्रिटेन के राजा से भी अधिक संपत्ति के मालिक बन गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार अल-थानी परिवार की लंदन में £40 अरब (लगभग 4200 अरब रुपये) से अधिक की संपत्ति है जिसमें हीथ्रो एयरपोर्ट, हैरड्स, सेंसबरी सुपरमार्केट चेन और कई अन्य प्रतिष्ठित परिसंपत्तियाँ शामिल हैं।
कतर के शाही परिवार के स्वामित्व वाली प्रमुख संपत्तियां
- हीथ्रो एयरपोर्टः लंदन का मुख्य हवाई अड्डा, जो ब्रिटेन के सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डों में से एक है। कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) ने इसमें हिस्सेदारी खरीदकर इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
- हैरड्स (Harrods): ब्रिटेन का सबसे मशहूर और लग्जरी डिपार्टमेंटल स्टोर, जिसे 2010 में कतरी परिवार ने खरीदा था।
- सेंसबरी (Sainsbury’s):ब्रिटेन की दूसरी सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन, जिसमें क़तरी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी के पास 14% हिस्सेदारी है।
- द शार्ड (The Shard): लंदन का सबसे ऊँचा टॉवर और एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र, जो पूरी तरह से क़तर की संपत्ति है।
- ओलंपिक विलेज और कैनरी व्हार्फ: 2012 लंदन ओलंपिक के लिए बनाए गए ओलंपिक विलेज और व्यापारिक क्षेत्र कैनरी व्हार्फ में भी क़तर का भारी निवेश है।
- इसके अलावा डचेस ऑफ़ कॉर्नवाल के ड्रीम होम क्लेरेंस हाउस शाही परिवार के सदस्यों के निवास से जुड़े कई हिस्सों पर भी क़तर का स्वामित्व है।
कतर ने 2000 के दशक से ही लंदन में अपनी जड़ें मजबूत करनी शुरू कर दी थीं। 2008 की वित्तीय मंदी के दौरान, जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब क़तर ने कई प्रमुख परिसंपत्तियों को खरीदकर अपनी स्थिति मजबूत की। लंदन के प्रॉपर्टी मार्केट और व्यापार क्षेत्र में क़तर का निवेश लगातार बढ़ रहा है। ब्रिटेन के कई सांसदों और विशेषज्ञों का मानना है कि क़तर जैसे विदेशी निवेशक लंदन की संपत्तियों पर नियंत्रण बढ़ाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था और राजनीतिक नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं।
ब्रिटेन की संसद में इस पर कई बार चर्चा हो चुकी है कि विदेशी शक्तियां ब्रिटेन की रणनीतिक परिसंपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले रही हैं। कतर के अल-थानी परिवार ने लंदन के सबसे प्रतिष्ठित और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण संस्थानों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। ब्रिटिश सरकार इस पर कितनी सख्ती बरतती है, यह आने वाले समय में देखने वाली बात होगी।