UN की रिपोर्ट में खुलासा- अफगानिस्तान में सक्रिय आंतकी संगठन मध्य और दक्षिण एशिया के लिए खतरा

punjabkesari.in Wednesday, Feb 15, 2023 - 06:01 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में सक्रिय आंतकी संगठन  मध्य और दक्षिण एशिया के लिए खतरा बने हुए हैं।  ये दावा संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में  किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान मध्य और दक्षिण एशिया के लिए आतंकवादी खतरे का प्रमुख स्रोत बना हुआ है।  अफगानिस्तान में आईएसआईएल-के, अल-कायदा और तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान जैसे समूह में पूरी आजादी के साथ गतिविधियों को चला रहे हैं।  रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान की सुरक्षा रणनीति इसके लिए जिम्मेदार है। 

 

एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम (आईएसआईएल, अल-कायदा) की 31वीं रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य और दक्षिण एशिया के लिए अफगानिस्तान आतंकवादी खतरे का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट-खुरासान (ISIL-K), अल-कायदा, तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान के साथ ही ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट/तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी (ETIM/TIP), इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, इस्लामिक जिहाद ग्रुप, खतीबा इमाम अल-बुखारी, खतीबा अल-तौहीद वल-जिहाद, जमात अंसारुल्लाह और अन्य समूहों से आतंकी खतरा पैदा होता है।

 

 UN की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईएसआईएल-के खुद को तालिबान के वास्तविक प्रशासन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करता है। इसका रणनीतिक ध्यान अफगानिस्तान और ऐतिहासिक खुरासान क्षेत्र पर है। इसका मुख्य लक्ष्य यह पेश करना है कि तालिबान देश में सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं है। राजनयिक मिशनों को निशाना बनाकर आईएसआईएल-के तालिबान और पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को कमजोर करना चाहता है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद काबुल में पिछले साल 5 सितंबर को रूसी दूतावास पर किया गया हमला किसी राजनयिक उपस्थिति के खिलाफ पहला मामला था।

 

दिसंबर में ISIL-K ने पाकिस्तानी दूतावास और चीनी नागरिकों को ठहराने वाले एक होटल पर हमले करने का दावा किया था। उसने अफगानिस्तान में चीनी, भारतीय और ईरानी दूतावासों पर भी आतंकवादी हमले शुरू करने की भी धमकी दी। हाई-प्रोफाइल हमलों के अलावा, आईएसआईएल-के लगभग रोजाना कम तीव्रता के हमले करता है। इससे स्थानीय समुदायों में डर पैदा होता है। तालिबान पश्तून प्राधिकरण को कमजोर करने के लिए शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है और सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती दी जाती है। रिपोर्ट में अनुमान है कि आईएसआईएल-के में वर्तमान में 1,000 से लेकर 3,000 तक लड़ाके हैं। इसमें से करीब 200 मध्य एशियाई मूल के थे। हालांकि, अन्य सदस्यों का मानना है कि लड़कों की संख्या छह हजार तक हो सकती है।
 


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Content Writer

Tanuja

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