अफगानिस्तान राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, पोलिंग सेंटर पर धमाके में 15 लोग घायल

punjabkesari.in Saturday, Sep 28, 2019 - 11:03 AM (IST)

काबुलः अफगानिस्तान में कड़ी सुरक्षा के बीच राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान शनिवार सुबह शुरू हो गया। इसी बीच खबर आई है कि  क पोलिंग सेंटर पर ब्लास्ट हुआ जिसमें 15 लोगों के घायल होने की खबर है।  अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव में अशरफ गनी और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला के बीच मुख्य मुकाबला है। 2001 में तालिबान के खात्मे के बाद देश के चौथे आम चुनाव हैं। तालिबान ने पहले ही पोलिंग स्टेशन को निशाना बनाने की धमकी दी है। हालांकि अमेरिका की अगुआई में सुरक्षाबलों ने बीते हफ्तों में कई जमीनी और हवाई हमलों को नाकाम किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हमलों में पिछले हफ्ते 150 लोग मारे गए थे।   PunjabKesari

कौन-कौन हैं मैदान में
अफगानिस्तान चुनाव में 16 प्रत्याशी मैदान में हैं। नेशनल असेंबली या वोलेसी जिरगा (निचला सदन) की 249 सीटों और मेशरानो जिरगा (उच्च सदन) की 102 सीटों पर मतदान होगा। असल ताकत वोलेसी जिरगा में है। यहीं कानून बनाए जाते हैं और उनमें संशोधन होता है। मेशरानो जिरगा सलाहकार की भूमिका में होती है। इस चुनाव में 6 प्रमुख चेहरे हैं।

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  • अशरफ गनी: दूसरी बार राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। खुद को दौलत साज यानी देश निर्माता बता रहे हैं।  
  • अब्दुल्ला अब्दुल्ला: फिलहाल अफगानिस्तान के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर हैं। यह पद 2014 के चुनवा के बाद ही बनाया गया था। अब्दुल्ला की गनी से सीधी टक्कर है। अब्दुल्ला के प्रचार का मोटो स्थायित्व और एकीकरण रहा।
  • अहमद वली मसूद: रूस-तालिबान विरोधी कमांडर रहे अहमद शाह मसूद के छोटे भाई हैं। ताजिक समुदाय से आते हैं और यूके में अफगानिस्तान के राजदूत रह चुके हैं।
  • गुलबुद्दीन हिकमतयार: पूर्व कमांडर रहे युद्ध अपराधों के आरोपी थे। हिकमतयार पर 1990 के दशक में अफगान सिविल वॉर के दौरान हजारों नागरिकों को मरवाने के आरोप लगे थे। 2016 के शांति समझौते के तहत हिकमतयार को माफी दे दी गई। दो दशकों तक बाहर रहने के बाद हिकमतयार मई 2017 में देश लौटे।
  • अब्दुल लतीफ पेदराम: ताजिक समुदाय से आते हैं। वर्तमान में सांसद हैं। महिलाओं के अधिकार और संघीय ढांचे की आवाज बुलंद करते रहे हैं।
  • रहमतुल्ला नबील: दो बार अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख रहे। तालिबान और अशरफ गनी के मुखर आलोचक हैं।

 

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‘इंडिपेंडेंट इलेक्शन कमीशन' के प्रवक्ता जबी सदात ने  बताया कि अफगानिस्तान में करीब 96 लाख पंजीकृत मतदाता हैं, लेकिन इनमें से कई लोगों ने 18 साल तक चले युद्ध के बाद किसी भी सरकार के यहां हालात बेहतर कर पाने की उम्मीद खो दी है। अफगानिस्तान की आबादी करीब 3 करोड़ 50 लाख, इस बार 96 लाख लोग वोट डालेंगे। 72 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए, जिनमें 9900 महिलाएं हैं। 33 राज्यों में 5373 पोलिंग केंद्र बनाए गए, 1.10 लाख चुनावकर्मी वोटिंग करवाएंगे।

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इसको देखते हुए अफगान अधिकारियों ने सुरक्षा की पुख्ता तैयारियां की हैं। गृह मंत्री मसूद अंदराबी ने कल शुक्रवार को चुनाव में सुरक्षा तैयारियों को रेखांकित करते हुए बताया था कि इसकी रूपरेखा तैयार करने में उन्हें आठ महीने का वक्त लगा। देश भर में 4,942 मतदान केंद्रों में प्रत्येक के बाहर सुरक्षा के तीन विशिष्ट घेरे बनाए गए हैं। पहले दो घेरों में पुलिसकर्मी और खुफिया अधिकारी रहेंगे। तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण घेरे में अफगान राष्ट्रीय सेना के जवान तैनात हैं। 

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भारत को अफगानिस्तान का सबसे बड़ा सहयोगी माना जाता है, लेकिन हमने कभी भी उनके आंतरिक मसले में हस्तक्षेप नहीं किया। आतंकवादी संगठन ने चुनावी रैलियों और चुनावी दफ्तरों को निशाना बनाने के लिए आत्मघाती हमले किए जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए।


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Tanuja

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