सूडान में खत्म हुआ 30 साल का इस्लामी शासन, अब बनेगा लोकतांत्रिक राष्ट्र
punjabkesari.in Monday, Sep 07, 2020 - 10:24 PM (IST)
खारतूमः अफ्रीका के सबसे हिंसाग्रस्त देशों में शुमार सूडान ने आखिरकार साल भर चले आंदोलन के बाद 30 साल पुराने इस्लामी शासन को खत्म कर दिया है। सूडान की सरकार ने अब शासन से धर्म को अलग करने का फैसला भी किया है। इसे लेकर सुडान के प्रधानमंत्री अबदुल्ला हमदोक और सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ विद्रोही समूह के नेता अब्दुल-अजीज अल हिलू के बीच गुरुवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं।
इस समझौता ज्ञापन में लिखा हुआ है कि सूडान एक लोकतांत्रिक देश बनने के लिए, जहां सभी नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है। यहां संविधान को धर्म और राज्य के अलगाव के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। जिसके अभाव में आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।
सरकार और विद्रोही गुट के बीच शांति समझौता
यह समझौता सरकार और विद्रोही गुटों के बीच पीस डील के एक हफ्ते के अंदर हुआ है। इसके कारण सूडान के दारफुर और अन्य इलाकों में जारी हिंसा को थमने की उम्मीद भी की जा रही है। इससे पहले सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ के दो गुटों में से एक ने धर्मनिरपेक्ष प्रणाली के बिना शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। ये विद्रोही ही बॉर्ड इलाके में सूडानी सेना के साथ लड़ाईयां करते थे।
महिलाओं के खतने पर कानून
पिछले साल तख्तापलट के बाद देश में बनी अंतरिम सरकार ने खतना को अपराध करार देने वाला कानून तैयार कर लिया है। किसी भी मेडिकल संस्थान या घरों में भी खतना किए जाने पर तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इसे करने वाले डॉक्टर-नर्स को भी ऐक्शन का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में 10 में से 9 महिलाओं का खतना किया जाता था। खतना एक ऐसी परंपरा होती है जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट या उसके एक हिस्से को काट दिया जाता है। न सिर्फ यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है बल्कि बेहद खतरनाक भी। कई मामलों में बच्चियों की जान तक चली जाती है।